L19 DESK : झारखंड की नयी शराब निति के सलाहकार अरुण पति त्रिपाठी की गिरफ्तारी के बाद हुई पूछताछ से इडी को इसके सबूत मिले हैं कि छत्तीसगढ़ शराब घोटाले का सरगना वही था। सरकार के समानांतर शराब बिक्री के नेटवर्क का पूरा नियंत्रण उसी के पास था। शराब बिक्री की इस समानांतर व्यवस्था से उसने बतौर कमीशन अपने लिए 20 करोड़ रुपये वसूले हैं। जांच में पाया गया है कि उसने वर्ष 2021 में अपनी पत्नी के नाम पर एक आइटी कंपनी बनायी थी। इस कंपनी को ‘प्रिज्म होलोग्राफी एंड फिल्म्स प्रालि’ को भारी कीमत पर बेच दिया गया था।
जिसके बाद प्रिज्म को होलोग्राम छापने का काम दिलाया और उससे नकली होलोग्राम छापने के बदले प्रति होलोग्राम अपना कमीशन भी तय कर दिया गया था। प्रिज्म होलोग्राम के विधु गुप्ता ने पीएमएलए की धारा-50 के तहत दर्ज कराये गये बयान में यह स्वीकार किया है कि होलोग्राम का काम दिलाने के लिए अरुण पति त्रिपाठी के साथ एक ‘डील’ हुई थी। इसके तहत उसे 90 लाख रुपये का भुगतान किया गया था । साथ ही प्रति होलोग्राम आठ पैसे की दर से कमीशन भी दिया गया।
ईडी कि जांच में पाया गया कि डिस्टिलरी से भेजी जानेवाली देशी शराब की कीमत 560 रुपये प्रति पेटी थी, लेकिन इस पर अधिकतम खुदरा मूल्य 2880 रुपये लिखा जाता था। इस तरह एक पेटी की बिक्री पर शराब सिंडिकेट को 2320 रुपये की अवैध कमाई होती थी। नकली होलोग्राम लगा कर प्रतिमाह औसतन 200 ट्रक देसी शराब की बिक्री की गयी। जिसके बाद में यह बढ़ कर 400 ट्रक प्रति माह हो गयी थी।
इससे सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हुआ। छत्तीसगढ़ में शराब से कमीशन वसूलनेवाले इस गिरोह ने असली होलोग्राम लगा कर बेची जानेवाली शराब पर भी कमीशन तय कर रखा गया था। इसके तहत शराब बनानेवाली कंपनियों से वैध शराब पर 75 रुपये प्रति पेटी की दर से कमीशन की वसूली की गयी थी।
इडी ने जांच के दौरान त्रिपाठी की पत्नी को भी समन किया था। पूछताछ के दौरान उसने यह स्वीकार किया कि उसके नाम पर बनी आइटी कंपनी का कोई संबंध उससे नहीं है। कंपनी को पूरा नियंत्रण उसके पति अरुणपति त्रिपाठी के पास है, वही इस कंपनी का सारा काम देखते हैं। इडी ने अरुण त्रिपाठी के मामले की जांच में यह पाया कि वह मूलत: दूरसंचार विभाग का अधिकारी है।
प्रतिनियुक्ति पर छत्तीसगढ़ मार्केटिंग कॉरपोरेशन में कार्यरत है। उसने झारखंड में शराब के कारोबार में सलाहकार नियुक्त होने से पहले दूरसंचार मंत्रालय और छत्तीसगढ़ राज्य सरकार से अनुमति नहीं ली है। नियमानुसार झारखंड में सलाहकार बनने के लिए उसे अपने मूल विभाग एवं छत्तीसगढ़ सरकार से अनुमति लेना आवश्यक था।
इडी ने जांच के दौरान यह भी पाया कि त्रिपाठी ने ही सरकारी संस्थाओं का इस्तेमाल करते हुए शराब का व्यापार की समानांतर व्यवस्था कायम किया था। उसी ने राज्य के 15 जिलों में मैन पावर सप्लाई का काम मेसर्स सुमित फैसिलिटीज को दिलाया था। इन्हीं जिलों में सरकार के समानांतर शराब की बिक्री की गयी थी।