L19/Gumla : झारखंड को अलग राज्य बने हुए 22 साल हो गए हैं राज्य का निर्माण ही आदिवासी मूलवासी की हितों की रक्षा को लेकर किया गया था, लेकिन निर्माण के दो दशक बाद भी आदिवासी क्षेत्रों की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है।
जहां विकास के योजनाओं के दावें हों, वहां मूलभूत सुविधायें तक नहीं। जहां कागजों पर विकास की बातें लिखी गई हो, वहां जमीन पर सिर्फ बदहाली मिली है। गुमला जिले के घाघरा प्रखंड के अमूमन हर गांव की यही नियती है।
आदर पंचायत के किसी भी गांव की तस्वीर को देखें या वहां के लोगों से बात करें तो सभी की जुबां पर सरकारी व्यवस्था के खिलाफ गुस्सा है। झारखंड बने 22 साल होने के बाद भी यहां के लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। चुनाव के दौरान तमाम तरह के दावे इन भोले-भाले ग्रामीणों के साथ किये जाते हैं, लेकिन नतीजों के बाद तमाम वादे जनप्रतिनिधि भूल जाते हैं। आजादी के इतने साल बाद भी शुद्ध पानी के लिए लोगों को आवाज उठाना पड़ रहा है।
वहीं, जब गुमला जिले के डीसी से पानी की समस्या को लेकर बात की गई तो डीसी को इस बात की खबर भी नहीं लिया गया कहा कि गांव में पानी नहीं है। गांव का विकास नहीं हुआ है। गांव के लोगों को आज तक मूलभूत सुविधायें नहीं मिली हैं। सवाल पूछने पर डीसी ने कहा कि सरकारी योजनायें हैं, धीरे-धीरे पहुंच जायेगी। वक्त लगता है दुर्गम इलाकों तक योजनाओं को पहुंचने में। वो भी तब जिला मुख्यालय से घाघरा 20 किलोमीटर दूर हो। 22 साल के झारखंड में जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर योजनाओं को पहुंचाने में वक्त लगता है, लेकिन वक्त कितना लगेगा इसका जवाब नहीं है।
हांलाकि डीसी साहब ने जल्द ही समस्याओं को दूर करने का आश्वासन दिया है। डीसी साहब का ये आश्वासन घाघरा के लोगों के लिए नये जैसा नहीं है। इनसे पहले जनप्रतिनिधि आते थे, चुनावी वादा करते थे, लेकिन धरातल पर कुछ भी काम नहीं होता है। जिला प्रशासन के इस आश्वासन ने यहां के लोगों के मन में उम्मीद जगी है कि जल्द सुविधायें दुरुस्त हो जायेगी।