L19 DESK : झारखंड में 31 दिसंबर 2019 से पहले बने अवैध भवनों को रेगुलर करने के लिए बने ड्राफ्ट पर 100 से अधिक स्टेक होल्डर्स ने आपत्तियां और सुझाव दिये हैं।इस ड्राफ्ट पर आये सुझावों की 10 अप्रैल को समीक्षा भी की जाएगी,जिसमें झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स, क्रेडाई, बिल्डिंग और आर्किटेक्ट एसोसिएशन के सदस्य शामिल होंगे। नगर विकास विभाग के चीफ टाउन प्लानर गजानंद राम के मुताबिक, बैठक में विभिन्न संगठनों से आये सुझावों की समीक्षा होगी और राय ली जायेगी। दूसरे राज्यों के भवन नियमितिकरण योजना से तुलना के बाद एक फाइनल ड्राफ्ट तैयार किया जायेगा और सरकार से अप्रूवल मिलने के बाद ही यह लागू होगा।उधर चैंबर ऑफ कॉमर्स ने शहरों में सीएनटी एक्ट का उल्लंघन कर बनाए गए 75 % भवनों को नियमित करने के लिए बीच का रास्ता सरकार को सुझाया है, साथ ही सिंगल विंडो सिस्टम से इस योजना को लागू करने का सुझाव भी दिया है।चैंबर ऑफ कॉमर्स ने नगर विकास विभाग को भेजे अपने सुझाव कहा है
कि 2012 में 51 पिछड़ी जाति को सीएनटी एक्ट में शामिल किया गया था। शहरी निकायों में काफी जमीन 2012 के बाद खरीदे गये थे। सीएनटी में आने के कारण इन जमीनों की न रसीद कटती है और न म्यूटेशन होता है। 75 फीसदी लोगों का नक्शा भूमि संबंधी मामले के कारण पास नहीं हुआ है, इसलिए बिल्डिंग रेगुलराइज के लिए न्यूनतम लैंड पेपर्स लेने चाहिए। अगर व्यक्ति बिजली बिल या वाटर कनेक्शन में कोई एक दस्तावेज जमा करते हैं तो अंडरटेकिंग के साथ बिल्डिंग को रेगुलर किया जा सकता है।उधर चैंबर ने सरकार द्वारा बनाये गये ड्राफ्ट को अधूरा माना है और इस पर तर्क देते हुए सरकार ने कहा कि भवन नियमितिकरण योजना को लैंड यूज के प्रावधानों से मुक्त रखा जाना चाहिए। जिन भवनों की उंचाई 15 मीटर से अधिक और 500 स्क्वायर मीटर प्लिंथ एरिया से ज्यादा है
उसका भी शुल्क के साथ नियमितिकरण का प्रावधान किया जाना चाहिए। 15 मीटर से अधिक उंचे और 500 स्क्वायरमीटर से अधिक प्लिंथ एरिया वाले रेसिडेंशियल बिल्डिंग को नगर निगम क्षेत्र में 100, नगर परिषद में 75 और नगर पंयातर में 50 रुपये प्रति स्क्वायर मीटर की फीस लेकर रेगुलर किया जाना चाहिए। इसी तरह अगल-अलग उंचाई और प्लिंथ एरिया वाले मकानों के लिए चैंबर ने सरकार को सुझाव दिये हैं। चैंबर ने कहा है कि निगम के पदाधिकारी 15 मीटर से उंचे और 500 स्क्वायर मीटर प्लिंथ एरिया से अधिक के भवनों की जांच कर सकते हैं। अध्ययन कराकर इसे सेंक्शन करने का प्रोसेस किया जा सकता है, क्योंकि ऐसे भवनों की संख्या अधिकतम 10 फीसदी होगी।आगे चैंबर ने यह भी सुझाव दिया कि गलत सूचना दिये जाने पर नक्शा खारिज कर दिया जाना चाहिए इसके अलावा दंड और कानून कार्रवाई का प्रावधान किया जाना चाहिए,इसके लिए नगर निकायों को 25 फीसदी नक्शों की रेंडमली जांच करने की जरूरत है। वहीं नियमितिकरण के पूरे फीस की राशि एकमुश्त जमा कर सिंगल विंडो से नक्शे को अप्रूवल दिया जा सकता है।
इससे विभाग का 90 फीसदी समय बचेगा और लोगों को दफ्तर के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। इसके साथ ही सरकार 31 दिसंबर 2019 के पहले के बने भवनों के बजाये नई अधिनियम की अधिसूचना जारी होने के दिन तक हुए भवन निर्माण पर इसे लागू करे। ओडिशा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में ऐसा ही प्रावधान है. अविवादित भू-स्वामित्व से संबंधित एक शपथ पत्र आवेदन के साथ लेना चाहिए और यह प्रावधान करना चाहिए कि स्वामित्व में विवाद होने पर नक्शा स्वत खारिज समझा जायेगा।झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स के उपाध्यक्ष आदित्य मल्होत्रा ने कहा कि सरकार का यह सकारात्मक कदम है, लेकिन इसका निष्पादन सीमित संसाधनों और सीमित अधिकारियों से समय सीमा में संभव नहीं है। अवैध निर्माण के नियमितिकरण योजना का क्रियान्वयन सिंगल विंडो सिस्टम से किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि चैंबर का प्रयास है कि हर आम आदमी को राहत मिले। चैंबर के सुझावों को मानते हुए नया ड्राफ्ट बनता है तो, उससे सरकार का गुडविल बढ़ेगा। लोगों के बीच अच्छा मैसेज जायेगा और राज्य के विकास को गति मिलेगी।झारखंड में 31 दिसंबर 2019 से पहले बने अवैध भवनों को रेगुलर करने के लिए बने ड्राफ्ट पर 100 से अधिक स्टेक होल्डर्स ने आपत्तियां और सुझाव दिये हैं।
ड्राफ्ट पर आये सुझावों की 10 अप्रैल को समीक्षा होगी। जिसमें झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स, क्रेडाई, बिल्डिंग और आर्किटेक्ट एसोसिएशन के सदस्य शामिल होंगे। नगर विकास विभाग के चीफ टाउन प्लानर गजानंद राम के मुताबिक, बैठक में विभिन्न संगठनों से आये सुझावों की समीक्षा होगी और राय ली जायेगी। दूसरे राज्यों के भवन नियमितिकरण योजना से तुलना के बाद एक फाइनल ड्राफ्ट तैयार किया जायेगा और सरकार से अप्रूवल मिलने के बाद यह लागू होगा। उधर चैंबर ऑफ कॉमर्स ने शहरों में सीएनटी एक्ट का उल्लंघन कर बने 75 फीसदी भवनों को नियमित करने के लिए बीच का रास्ता सुझाया है। साथ ही सिंगल विंडो सिस्टम से इस योजना को लागू करने का सुझाव भी दिया है।चैंबर ऑफ कॉमर्स ने नगर विकास विभाग को भेजे अपने सुझाव कहा है कि 2012 में 51 पिछड़ी जाति को सीएनटी एक्ट में शामिल किया गया था. शहरी निकायों में काफी जमीन 2012 के बाद खरीदे गये थे। सीएनटी में आने के कारण इन जमीनों की न रसीद कटती है और न म्यूटेशन होता है। 75 फीसदी लोगों का नक्शा भूमि संबंधी मामले के कारण पास नहीं हुआ है,
इसलिए बिल्डिंग रेगुलराइज के लिए मिनिमम लैंड पेपर्स लेने चाहिए। अगर व्यक्ति बिजली बिल के साथ बिल्डिंग को रेगुलर किया जा सकता है।उधर चैंबर ने सरकार द्वारा बनाये गये ड्राफ्ट को अधूरा माना है साथ ही कहा कि भवन नियमितिकरण योजना को लैंड यूज के प्रावधानों से मुक्त रखा जाना चाहिए। जिन भवनों की उंचाई 15 मीटर से अधिक और 500 स्क्वायर मीटर प्लिंथ एरिया से ज्यादा है, उसका भी शुल्क के साथ नियमितिकरण का प्रावधान किया जाना चाहिए। 15 मीटर से अधिक उंचे और 500 स्क्वायरमीटर से अधिक प्लिंथ एरिया वाले रेसिडेंशियल बिल्डिंग को नगर निगम क्षेत्र में 100, नगर परिषद में 75 और नगर पंयातर में 50 रुपये प्रति स्क्वायर मीटर की फीस लेकर रेगुलर किया जाना चाहिए। इसी तरह अगल-अलग उंचाई और प्लिंथ एरिया वाले मकानों के लिए चैंबर ने सरकार को सुझाव दिये हैं। चैंबर ने कहा है कि निगम के पदाधिकारी 15 मीटर से उंचे और 500 स्क्वायर मीटर प्लिंथ एरिया से अधिक के भवनों की जांच कर सकते हैं। अध्ययन कराकर इसे सेंक्शन करने का प्रोसेस किया जा सकता है, क्योंकि ऐसे भवनों की संख्या अधिकतम 10 फीसदी होगी।
चैंबर ने यह भी सुझाव दिया कि गलत सूचना दिये जाने पर नक्शा खारिज कर दिया जाना चाहिए,इसके अलावा दंड और कानून कार्रवाई का प्रावधान किया जाना चाहिए। इसके लिए नगर निकायों को 25 फीसदी नक्शों की रेंडमली जांच करने की जरूरत है, वहीं नियमितिकरण के पूरे फीस की राशि एकमुश्त जमा कर सिंगल विंडो से नक्शे को अप्रूवल दिया जा सकता है। इससे विभाग का 90 फीसदी समय बचेगा और लोगों को दफ्तर के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। इसके साथ ही सरकार 31 दिसंबर 2019 के पहले के बने भवनों के बजाये नई अधिनियम की अधिसूचना जारी होने के दिन तक हुए भवन निर्माण पर इसे लागू करे। ओडिशा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में ऐसा ही प्रावधान है। अविवादित भू-स्वामित्व से संबंधित एक शपथ पत्र आवेदन के साथ लेना चाहिए और यह प्रावधान करना चाहिए कि स्वामित्व में विवाद होने पर नक्शा स्वत खारिज समझा जायेगा।