L19 DESK : झारखंड विधानसभा में मॉब लिंचिंग कानून पास होने के बावजूद मॉब लिंचिंग की घटनाएं सामने आ रही हैं। विधानसभा के शीतकालिन सत्र के दौरान 21 दिसंबर 2021 को “भीड़ हिंसा रोकथाम व मॉब लिंचिंग विधेयक” पारित हुआ था। कानून होने के बावजूद मॉब लिंचिंग की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रहीं हैं। बीते 1 साल में झारखंड के विभिन्न जिलों से 9 ऐसे मामले आये हैं जिनमें 10 लोगों को भीड़ द्वारा मौत के घाट उतार दिया गया।
इन मामलों में सिमडेगा (4 जनवरी 2022 को 1 मामला), गिरिडीह (11 जनवरी 2022 और 1 जनवरी 2023 को 2 मामले), दुमका (19 जनवरी 2022 और 16 अक्तूबर 2022 को 2 मामले), गुमला (3 अक्तूबर 2022 को 1 मामला), बोकारो (6 अक्तूबर 2022 को 1 मामला), सरायकेला-खरसावां (18 मार्च 2023 को 1 मामला), रांची ( 7 अप्रैल 2023 को 1 मामला) जिले शामिल हैं।
क्या कहता है कानून?
इस विधेयक में मॉब लिंचिंग में मौत होने पर दोषी को उम्र कैद तथा 5 से 25 लाख रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है। लिंचिंग के शिकार के इलाज का खर्च जुर्माने की राशि से दिया जाएगा। भीड़ हिंसा में किसी व्यक्ति के हल्का जख्मी होने पर भी आरोपियों को 1 से 3 साल तक जेल या 1-3 लाख रुपये तक जुर्माना और गंभीर रूप से ज़ख्मी होने की स्थिति में 1 से 10 साल तक जेल या 3 से 10 लाख रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है। इस विधेयक में दो या दो से अधिक लोगों द्वारा हिंसा को मॉब लिंचिंग के रूप में परिभाषित किया गया है।