अचानक भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी के वीडियो जारी करने से नहीं मचा धमाल
नीलोफर का जलवा प्रोजेक्ट बिल्डिंग से लेकर नेपाल हाउस तक था, विशाल चौधरी के इशारे पर होते थे सभी काम, श्री राम गार्डन नामक अपार्टमेंट में सजती थी महफिल
L19 DESK : भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने रविवार को एक वीडियो जारी कर सरकार के मुखिया के प्रधन सचिव राजीव अरुण एक्का पर कई गंभीर आरोप लगाये आरोप लगाने के साथ-साथ उन्होंने सरकार के समक्ष एक सवाल खड़ा किया कि कैसे यहां के नौकरशाह पावर ब्रोकरों के इशारे पर काम करते हैं। फाइल पर हस्ताक्षर करते हैं। इन सब कामों के लिए हसीनाओं को लगाया जाता है।
वीडियो में जो युवती दिख रही है आइएएस अफसर राजीव अरुण एक्का के साथ उसे नाम नीलोफर, नीलू और शबनम के नाम से लोग जानते हैं। प्रोजेक्ट भवन मंत्रालय से लेकर नेपाल हाउस तथा श्रमायुक्त कार्यालय तक नीलोफर का जलवा रहता था। फ्रंटलाइन ग्लोबल सर्विसेज की प्रतिनिधि के रूप में नीलोफर रोज कई आइएएस अफसरों के साथ रू-ब-रू होती थी। नीलोफर ब्लैक ट्राउजर और ह्वाईट शर्ट पहन कर सत्ता के गलियारे में घूमती थी। इसकी झलक पाने के लिए सब बेताब रहते थे। नीलोफर के साथ दो-तीन और युवतियां भी रहती थीं। अगर झारखंड सरकार शराब सिंडिकेट, प्लेसमेंट एजेंसियों तथा फ्रंटलाइन ग्लोबल सर्विसेज की जांच कराये, तो कई खुलासे होंगे। परत-दर-परत कई सफेदपोश और ह्वाईट कालर्ड लोगों के नाम सामने आयेंगे, जो चौंकानेवाले होंगे।
झारखंड कौशल विकास मिशन सोसाइटी के सीइओ रहे आइएएस अजय कुमार सिंह के साथ भी इस कंपनी के संबंध अच्छे रहे हैं। वे कुछ दिनों तक नगर विकास सचिव भी रहे थे। उनके कार्यकाल में स्वर्ण जंयती शहरी रोजगार योजना का काम (एनएलयूएम) में मिला था। इसका उदघाटन भी काफी धूमधाम से तत्कालीन सरकार के कार्यकाल में हुआ था। इसमें भी विकास चौधरी की भूमिका काफी अधिक रही थी। 2012-13 से लेकर 2019-20 तक इस कंपनी का झारखंड में काफी बोलबाला रहा। प्रर्शिक्षण देने के नाम पर 2020 तक 10 लाख युवाओं को प्रशिक्षित करने का भारी-भरकम सपना इस कंपनी ने दिखाया था। इनके जलवे और हुस्न के कई दिवाने थे। इसका फायदा भी नीलोफर को मिला और फ्रंटलाइन ग्लोबल कंपनी बिजली बोर्ड, स्वास्थय विभाग, श्रम नियोजन एवं प्रशिक्षण और अन्य जगहों पर प्लेसमेंट का काम मिला। इसके अलावा शराब सिंडिकेट में भी इनकी पूछ काफी अधिक थी।
शराब सिंडिकेट पूर्व की सरकार और हेमंत सोरेन फेज-2 रीजिम में अधिक रहा था। झारखंड में 2015 में स्किल इंडिया मिशन के तहत एक अलग एजेंसी झारखंड राज्य कौशल विकास मिशन गठित किया गया था। उसी समय से विशाल चौधरी अपनी संस्था के लिए उसे इंपैनेल करने को लेकर सक्रिय हो गया। बाद में एनएसडीसी से भी उसने फ्रंटलाइन ग्लोबल सर्विसेज को मान्यता दिला दी। झारखंड में प्रत्येक वर्ष कौशल विकास मिशन सोसाइटी के लिए 100 से 150 करोड़ का प्रावधान किया जाता रहा है। पहले यह सोसाइटी श्रम विभाग के पास थी। बाद में इसे उच्चतर शिक्षा विभाग के अधीन कर दिया गया। 150 सौ से अधिक कंपनियों को झारखंड में कौशल विकास मिशन के नाम पर निबंधित किया गया। जिसमें से कई अब गायब हो गयी हैं।
झारखंड में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना सहित अन्य कौशल योजनाओं से अब तक झारखंड में 1 लाख 16 हजार 156 अभ्यर्थियों ने प्रशिक्षण लिया। इनमें 80 हजार 052 अभ्यर्थियों को प्रमाण पत्र दिया गया गया। वहीं, 26671 अभ्यर्थियों को झारखंड में विभिन्न संस्थानों के माध्यम से नौकरी दिलाई गई है। इसे लेकर तत्कालीन स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग की मंत्री डॉ नीरा यादव ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर हुई गड़बड़ियों की जांच की मांग की थी। उच्चतर, तकनीकी शिक्षा और कौशल विकास विभाग में प्रशिक्षण के नाम पर कंपनियों को 140 करोड़ रुपये दिये थे। इसमें सोसाइटी के पूर्व सीइओ रवि रंजन, पूर्व आइआरएस अधिकारी राकेश कुमार सिंह पर भी घोटाले की संचिका एसीबी तक पहुंची थी। इन पर कई कंपनियों को उपकृत करने का आरोप लगा था।
फ्रंटलाइन ग्लोबल सर्विसेज की तरफ से यह दावा किया जाता था कि वह झारखंड की निबंधित सबसे बड़ी व्यावसायिक प्रशिक्षण देनेवाली कंपनी है। झारखंड सरकार के एनसीवीटी कार्यक्रम को संचालित करने का जिम्मा इन्हें मिला था। इसके अलावा रांची और गढवा में त्वरित लाभ कार्यक्रम (आइएपी) के कार्यक्रमों को संचालित करने का जिम्मा इन्हें मिला हुआ था। झारखंड में स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना के तहत एक हजार स्टूडेंट्स को प्रशिक्षित करने का दावा यह कंपनी करती थी। फ्रंटलाइन ग्लोबल का दावा है कि उसके सेंटर रांची, गढ़वा, देवघर और सिमडेगा के अलावा बिहार और यूपी में भी हैं।