L19 DESK : आज कल लोग अपनी बिजी लाइफस्टाइल के कारण कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का शिकार हो रहे हैं। इन्हीं गंभीर समस्या में से एक है स्ट्रोक है, जो दुनियाभर में होने वाली मौतों के मुख्य कारणों में से एक है। यह एक मेडिकल इमरजेंसी है, जो तब होती है जब आपके मस्तिष्क यानी ब्रेन में ब्लड फ्लो रुक हो जाता है।
खून के बिना आपके मस्तिष्क की कोशिकाएं मरने लगती हैं। इससे गंभीर लक्षण, स्थायी विकलांगता और यहां तक कि मौत भी हो सकती है। स्ट्रोक के एक से ज्यादा तरह के होते हैं। तो आइए जानते हैं स्ट्रोक के मुख्य प्रकार, उनके लक्षण और इसके उपचार के बारे में
बता दे की मायो क्लिनिक के अनुसार स्ट्रोक मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं, जिसमें ट्रांसिएंट स्ट्रोक, इस्कीमिक स्ट्रोक और हेमरेजिक स्ट्रोक शामिल हैं।
- इस्कीमिक स्ट्रोक – यह स्ट्रोक का सबसे आम प्रकार है। यह स्थिति तब होती है, जब ब्रेन के ब्लड वेसल्स संकुचित या बाधित हो जाते हैं, जिससे ब्लड फ्लो गंभीर रूप से कम हो जाता है। बाधित या संकुचित होने की वजह से ब्लड वेसल्स में फैट या फिर रक्त के थक्के जमने लगते हैं, जिससे ब्रेन में ब्लड फ्लो काफी कम हो जाता है। कुछ शुरुआती अध्ययन में पता चलता है कि COVID-19 संक्रमण से इस्केमिक स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है, हालांकि, अभी अधिक अध्ययन की जरूरत है।
- ट्रांसिएंट इस्केमिक स्ट्रोक– ट्रांसिएंट इस्केमिक अटैक को वॉर्निंग या मिनिस्ट्रोक भी कहते हैं। कोई भी चीज जो आपके दिमाग में ब्ल फ्लो को अस्थायी रूप से बाधित करती है, टीआईए का कारण बनती है। खून का थक्का और टीआईए के लक्षण थोड़े समय के लिए ही रहते हैं।
- हेमरेजिक स्ट्रोक – हेमरेजिक स्ट्रोक तब होता है, जब ब्रेन में ब्लड वेसल लीक हो जाती है या फट जाती है। ब्रेन में ब्लीडिंग कई स्थितियों की वजह से हो सकती है, जो रक्त वाहिकाओं को प्रभावित करती हैं। रक्तस्रावी स्ट्रोक से संबंधित कारकों में ये है शामिल
अनियंत्रित हाई ब्लड प्रेशर , खून को पतला करने वाली दवाओं का ज्यादा इस्तेमाल , ब्लड वेसल की दीवारों में कमजोर जगहों पर उभार होना (एन्यूरिज्म) , ट्रॉमा (जैसे कार दुर्घटना) , ब्लड वेसल्स की दीवारों में प्रोटीन जमा होना, जिससे दीवार कमजोर हो जाती है (सेरेब्रल एमिलॉइड एंजियोपैथी), इस्केमिक स्ट्रोक भी हेमरेज का कारण बनता है।
स्ट्रोक के मुख्य कारण
हाई ब्लड प्रेशर- हाई ब्लड प्रेशर ब्रेन स्ट्रोक का प्रमुख कारण है।
एट्रियल फिब्रिलेशन- अनियमित दिल की धड़कन से खून के थक्के और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
धूम्रपान और शराब- खराब जीवनशैली और शराब-धूम्रपान की आदतें भी स्ट्रोक के जोखिम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
डायबिटीज- हाई ब्लड शुगर का लेवल ब्लड वेसल्स को नुकसान पहुंचाता है, जिससे स्ट्रोक की संभावना बढ़ जाती है।
पारिवारिक इतिहास- स्ट्रोक का पारिवारिक इतिहास इसके जोखिम को बढ़ा सकता है।