L19/Desk.छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कारपोरेशन लिमिटेड (सीएसएमसीएल) को परामर्शी के रूप में हटाने के निर्णय से झारखंड के शराब दुकानों में कार्यरत प्लेसमेंट एजेंसियां हतप्रभ हैं। सूत्रों का कहना है कि यह सब प्रवर्तन निदेशालय (इडी) की छत्तीसगढ़ शराब सिंडिकेट के खिलाफ दबीश की वजह से जल्दबाजी में लिया गया निर्णय है। मई 2022 में सीएसएमसीएल की ओर से बनायी गयी झारखंड सरकार की उत्पाद नीति को राज्य भर में लागू किया गया था।
इस उत्पाद नीति के जरिये पहले 25 सौ करोड़ रुपये की राजस्व वसूली का लक्ष्य तय किया गया था, पर बाद में लक्ष्य के आंकड़े को संशोधित कर दिया गया, यानी 31 मार्च 2023 तक उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग का लक्ष्यय 2310 करोड़ कर दिया गया। मार्च के 10 दिन पूरा होने के बाद भी राजस्व वसूली का लक्ष्य 1770 करोड़ के आसपास है, जो तय टार्गेट से 550 करोड़ रुपये कम है।
आखिर सलाहकार कंपनी को हटाने के मामले को नयी दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी से लेकर भी देखा जा रहा है। सत्ता के गलियारे में यह चर्चा जोरों पर है कि छत्तीसगढ़ के शराब सिंडिकेट का लिंक झारखंड तक है। इस पर इडी की भी नजर है। छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कारपोरेशन लिमिटेड (सीएसएमसीएल) के प्रबंध निदेशक और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की निजी सचिव रही सौम्या चौरसिया के यहां हए इडी की दबीश का असर झारखंड में दिखना लाजिमी है।
वैसे भी सीएसएमसीएल द्वारा तैयार किये गये उत्पाद नीति को लेकर शुरू से ही झारखंड शराब व्यवसायी संघ की तरफ से विरोध किया जा रहा था। पर यह विरोध अपनी जगह पर ठीक है। वैसे भी 2022-23 वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर अभी भी एक पखवारे से अधिक का समय बचा हुआ है। ऐसे में किसी तरह के निर्णय के आधार पर सलाहकार कंपनी अथवा प्लेसमेंट एजेंसियों की गतिविधियों पर सवाल खड़ा करना ही संदेहास्पद है। नयी नीति पूरे वित्तीय वर्ष के लिए लागू है। राज्य के 1580 से अधिक खुदरा शराब दुकानों की बंदोबस्ती इस वित्तीय वर्ष में नहीं की गयी थी।
मई 2022 के मध्य में नयी उत्पाद नीति 2022 की घोषणा की गयी थी और सभी जिलों को नौ जोन में बांट कर प्लेसमेंट एजेंसियों के जरिये शराब की दुकानों में बिक्री सुनिश्चित करने और राजस्व वसूली का लक्ष्य सरकार ने तय किया था। इसमें इंडियन मेड फोरेन लिकर (विदेशी ब्रांड) और देश में निर्मित होनेवाले प्रमुख ब्रांडों की बिक्री 1580 दुकानों में करने का निर्णय सरकार का ही था।
अक्तूबर 2022 से लेकर नवंबर 2022 तक सरकार ने प्लेसमेंट एजेंसियों की तरफ से लक्ष्य के अनुरूप काम नहीं करने के बाबत 48 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी भी जब्त कर ली गयी थी। इसमें एटूजेड इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड, इगल हंटर लिमिटेड और सुमीत फैसिलिटिज नामक कंपनी शामिल है। इतना ही नहीं सरकार की ओर से चयनित दो थोक विक्रेताओं की राशि भी जब्त की गयी थी, जिनमें ओम साईं प्राइवेट लिमिटेड और दिशिता वेंचर्स प्रइवेट लिमिटेड शामिल है।
नवंबर 2022 में सरकार ने पांचवें प्लेसमेंट एजेंसी के रूप में जीडीएक्स फैसिलिटीज का भी चयन कर लिय गया। इस कंपनी को फरवरी तक की मोहलत दी गयी थी। इसके बाद झारखंड सरकार ने खुद की एजेंसी झारखंड स्टेट बीभरेज कारपोरेशन लिमिटेड को थोक विक्रेता का लाइसेंस दे दिया। जेएसबीसीएल ने दो करोड़ रुपये से अधिक की गारंटी जमा की गयी। थर्ड होलसेलर के रूप में जेएसबीसीएल भी काम कर रही है।
जानकारी के अनुसार इस नीति से सरकार को काफी उम्मीदें थीं। पर विभाग की अदूरदर्शिता की वजह से सलाहकार कंपनी तक को हटाने की नौबत आ गयी। सरकार ने एक करोड़ से अधिक का भुगतान करा करा सक। दिल्ली के शराब घोटाले की बू आंध्रप्रदेश के परिवार से भी जोड़ी जा रही है। दिल्ली प्रकरण के बाद राज्य की सीएम हेमंत सोरेन और उत्पाद मंत्री जगरनाथ महतो भी लगातार बयानबाजी कर रहे हैं।
सारा मसला तो झारखंड मंत्रिमंडल के निर्णय के आधार पर हुआ था, जब मंत्रिमंडल ने नयी शराब नीति लागू करने का फसैला लिया, तब किस हैसियत से राज्य के मंत्री इस प्रकरण के लिए जिम्मेवार हैं। उस समय सभी को नयी नीति में काफी पोटेंशियल दिख रहा था। अब पोटेंशियल समाप्त हो गया है। उस समय सरकार राजस्व परिषद ने भी कई आपत्तियां की थी, पर उसे भी एक सिरे से खारिज कर दिया था।
35 सौ करोड़ की राजस्व वसूली की बातें कर रहा है व्यापारी संघ
झारखंड राज्य शराब व्यपारी संघ शुरू से ही छत्तीसगढ़ स्टेट माइनिंग की तरफ से निर्मित स्टेट लिकर पालिसी का विऱोध करती रही है। व्यापारी संघ का कहना है कि वह 35 सौ करोड़ के राजस्व की वसूली कर सरकार को उपलब्ध करा देगी। पर जिस तरह राज्य भर में शराब की अवैध शरब की खेप लगातार पकड़ायी हैं, उसका खामियाजा कौन भरेगा. सरकार ने नयी उत्पाद नीति लागू होने के बाद पांच उत्पाद आयुक्त बदल दिये। इसका असर शराब के राजस्व वसूली पर प्रत्यक्ष रूप से पड़ रहा है। इससे पहले उत्पाद आय़ुक्त ने सभी जिलों में सहायक आयुक्तों के लिखा है। उसमें स्पष्ट है कि सरकार फिर से ऑक्शन के जरिये प्लेसमेंट एजेंसी का चयन करेगी।