L19/Ranchi : झारखण्ड हाइकोर्ट ने 25 जुलाई से पहले राज्य में नेता प्रतिपक्ष सहित एक दर्जन से अधिक आयोग के अध्यक्ष और सचिव के मामले पर विधानसभ और सरकार से जवाब मांगा। राज्य सूचना आयोग में सूचना आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर अवमानना याचिका सहित अन्य जनहित याचिकाओं पर सुनवाई किया। चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र तथा जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान प्रार्थियों और प्रतिवादी का पक्ष सुना। इसके बाद खंडपीठ ने दो बिन्दुओं पर राज्य सरकार व झारखंड विधानसभा के सचिव को शपथ पत्र दायर करने का निर्देश दिया। तीन वर्किंग डे में जवाब दायर किया जाये।
यदि कोई राजनीतिक दल नेता प्रतिपक्ष के लिए किसी का नाम देती है, तो विधानसभाध्यक्ष क्या सिर्फ इस आधार पर इस मामले को लंबित रख सकते हैं कि उनके खिलाफ दल-बदल का मामला चल रहा है तथा दूसरा नेता प्रतिपक्ष के मामले में हाइकोर्ट विधानसभाध्यक्ष को निर्देश दे सकता हैं या नहीं। इस पर शपथ पत्र दायर करने के लिए प्रतिवादी ने समय देने का आग्रह किया, जिसे खंडपीठ ने स्वीकार कर लिया। साथ ही मामले की फाइनल सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 25 जुलाई की तिथि निर्धारित किया गाय है। इससे पूर्व राज्य सरकार व विधानसभा सचिव की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल को पक्ष रखना था। उ
नकी ओर से स्वास्थ्य के आधार पर समय देने का आग्रह किया गया, जिसका विरोध निवेदक राजकुमार की ओर से वरीय अधिवक्ता वीपी सिंह व अधिवक्ता अभय कुमार मिश्र तथा एडवोकेट एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता नवीन कुमार ने किया। उन्होंने खंडपीठ को बताया कि प्रत्यक बार प्रतिवादी द्वारा समय लेकर मामले कोबढ़ाया जा रहा है। उधर आयोग में नियुक्ति नहीं हो पा रही है। विधानसभा सचिव की ओर से अधिवक्ता अनिल कुमार ने पक्ष रखा। उल्लेखनीय है कि निवेदक राजकुमार ने अवमानना याचिका दायर किया है। उन्होंने सूचना आयोग में नियुक्ति के मामले में हाइकोर्ट के आदेश का अनुपालन कराने की मांग किया। लगभग 12 संवैधानिक संस्थाओं में अध्यक्ष व सदस्यों का पद खाली है।