L19 DESK : झारखंड जनाधिकार महासभा ने राज्य सरकार से मांग कि हैं क अल्पसंख्यकों के विरुद्ध हाल के धार्मिक उन्माद व हिंसा के लिए ज़िम्मेवार दोषियों और दोषी पुलिस कर्मियों के विरुद्ध कार्यवाई हो, और घायलों के परिवार वालो को मुआवजा मिले। साथ ही, यह सुनिश्चित किया जाए कि पुलिस संवैधानिक मूल्यों व कानून का पूर्ण पालन करते हुए किसी भी प्रकार के धार्मिक उन्माद और हिंसा के विरुद्ध सख्त कार्यवाई करेगी। हेमंत सोरेन सरकार राज्य को भाजपा शासित राज्यों की तरह अल्पसंख्यको पर अत्याचार की प्रयोगशाला न बनने दे।
झारखंड समेत देश के मुसलमानों के साथ हो रही हिंसा
झारखंड जनाधिकार महासभा ने प्रेस वक्तव्य द्वारा बताया कि इस साल फिर से 2022 की तरह ही रामनवमी के अवसर पर झारखंड समेत देश के विभिन्न राज्यों – पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, बिहार, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश, जम्मू, तेलंगाना – में मुसलमानों के विरुद्ध धार्मिक उन्माद, भड़काऊ भाषण व हिंसा के मामले सामने आएं है।
रामनवमी के दौरान झारखण्ड में दो जगहों पर हिंसा हुई। धनबाद के निरसा में एक मुस्लिम युवक को घर में गाय काटने के आरोप में पेड़ से बांध कर रखा गया। जब पुलिस आई तब भीड़ ने उग्र होकर 3 पुलिस वाहन को छतिग्रस्त कर पलट दिया गया। इस घटना में मुस्लिम युवक के खिलाफ केस कर गिरफ्तार किया गया है लेकिन भीड़ द्वारा पुलिस वाहन को क्षतिग्रस्त कर पलट देने की घटना को धनबाद उपायुक्त ने मामूली नोक झोक करार दिया और कोई कार्यवाई नही की गई।
दूसरी घटना बालीडीह, हज़ारीबाग की है जहां एक मुस्लिम युवक को गाय चोरी के आरोप में भीड़ द्वारा बुरी तरह पीटा गया। दोनो घटना में ये देखा गया कि पुलिस एक पक्ष के खिलाफ कार्यवाई करने से बच रही है जो सीधे सीधे सुप्रीम कोर्ट के तहसीन पूनावाला केस का उल्लंघन है।देश के विभिन्न राज्यों में हिन्दू पर्व के नाम पर जुलुस व भीड़ में मुसलमानों के विरुद्ध व भड़काऊ नारे लगाए गयें व मस्जिद के सामने गाने बजाए गयें। कई जगह तो मस्जिद में भगवा झंडा लगाया गया। इस दौरान हुई पत्थरबाज़ी ने आग में घी डाला और मुसलमानों पर व्यापक हिंसा हुई। घर व दुकान जलाए गयें।
ये मामले अपने में पृथक मामले नहीं हैं, बल्कि आर एस एसव भाजपा समेत विभिन्न हिंदुत्ववादी संगठनों द्वारा देश को हिन्दू राष्ट्र में बदलने की सामाजिक-आर्थिक-धार्मिक-राजनैतिक परियोजना का हिस्सा हैं। इस परियोजना के तहत अल्पसंख्यक समुदाय के विरुद्ध नफरत और हिंसा का ज़हर समाज में विभिन्न तरीकों से घोला जा रहा है – खान पान के नाम पर, पहनावे के आधार पर ,गौ-वंश रक्षा के नाम पर, एक देश एक भाषा के नाम पर, मुसलमानों की दुकानों से न खरीदने का अभियान शुरू करना, नमाज़ पढ़ने की प्रक्रिया का अपराधीकरण करने की कोशिश करना आदि। हिन्दू राष्ट्र की संकीर्ण अवधारणा के तहत अल्पसंख्यकों, आदिवासी, दलित को दोयम दर्जे का नागरिक बनाया जा रहा है. रोज़ संविधान व देश के लोकतान्त्रिक ढांचे पर भाजपा व संघ परिवार द्वारा हमले बढ़ते जा रहे हैं।
दुःख की बात है कि गैर-भाजपा शासित राज्यों में भी इस बढ़ते उन्माद को रोका नहीं जा रहा है। इसका उम्दा उदहारण झारखंड व पश्चिम बंगाल है। अधिकांश गैर-भाजपा मुख्यधारा राजनैतिक दल हिंदुत्व के विरुद्ध मुह तक नहीं खोल रहे हैं. प्रशासन और पुलिस की कार्यवाई में समुदाय व धर्म आधारित भेदभाव नज़र आ रहा है।
महासभा ने हिन्दू समुदाय से की अपील
महासभा ने हिन्दू समुदाय से अपील करते हुए कहा कि भाजपा-आरएसएस के धार्मिक उन्माद आधारित खेल को समझे और अपने धर्म व पर्वों में हिंसा व द्वेष को पनपने न दें। यह भी सोचने का विषय है कि किसी भी अपने धर्मोत्सवों पर दूसरे धर्मावलंबियों और धर्मस्थलों के समक्ष आक्रामक शक्ति प्रदर्शन अपने धर्म की स्वतंत्र पहचान और गरिमा को क्षतिग्रस्त ही करता है।
इस कारण सच्चे धार्मिकों को ऐसे आक्रामक तत्वों से असहयोग और विरोध जाहिर करना चाहिए. देश सभी धर्मों व समुदायों का एक समान है। इस मूल्य को कायम रखने के लिए सभी लोग आर एस एस व भाजपा के हिन्दू राष्ट्र के एजेंडा और समाज में फैलती हिंसा व नफरत के विरुद्ध संगठित हो। धार्मिक उन्माद व नफरत की राजनीति के विरुद्ध संविधान और लोकतंत्र को पुनः बहाल करने के लिए संघर्ष को तेज़ करने की तुरंत ज़रूरत है।