L19 DESK : रांची के गेतलसूद डैम के केज में मरी मछलियों की जांच रिपोर्ट मत्स्य विभाग की जांच टीम ने पूरी कर ली है। इसकी रिपोर्ट जल्द पशुपालन एवं मत्स्य निदेशालय को सौंपी जायेगी। जांच टीम की रिपोर्ट पर मत्स्यजीवी सहयोग समितियों ने नाराजगी भी जतायी है। टीम ने डैम से पानी और मृत मछलियों का सैंपल कलेक्ट किया। जांच के क्रम में पानी में क्रोटिन नहीं पाये जाने की बातें सामने आयी। जिला मत्स्य पदाधिकारी डॉ अरूप चौधरी ने कहा कि प्रथम दृष्टया की गई जांच में पता चलता है कि पानी में ऑक्सीजन की कमी के कारण मछलियों की मौत हुई है।
डॉ चौधरी के मुताबिक, मछलियों को साफ-सुथरे पानी में ही ऑक्सीजन की मात्रा ठीक-ठाक मिलती है। यदि पानी में ऑक्सीजन की मात्रा बेहद कम हो जाए तो यह मछलियों के लिए जानलेवा साबित होती है। उन्होंने बताया कि एक बॉक्स का साइज सौ स्क्वायर फीट और जाल की गहराई 12 फीट होती है। इस साइज के बॉक्स में छह सौ ग्राम के सात हजार तेलपिया मछलियों को रखा जा सकता है. प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि केज में वजन बढ़ने के कारण मछलियों के लिए जगह छोटा हो गया। इस कारण मछलियों को सांस लेने में कठिनाई होने लगी और दम घुटने से उनकी मौत हो गई।
उधर गेतलसूद डैम में मत्स्य जीवी सहयोग समिति के कुल 24 केज हैं। इनमें केज 8 में भी मछलियों की मौत हुई है। इस केज में भी तेलपिया और दूसरे प्रजाति की मछलियां हैं। मत्स्य किसान भोला महतो ने बताया की इस केज में मात्र 160 मछलियां हैं। फिर यहां ऑक्सीजन की कमी कैसे हो गई। उनके अनुसार दूसरे केज में मछलियां मरी हैं। यह वीडियो में भी स्पष्ट है।