L19 DESK : रांची के पूर्व उपायुक्त छवि रंजन प्रवर्तन निदेशालय (इडी) के क्षेत्रीय कार्यालय में पहुंच गये हैं। उन्हें 28 अप्रैल को समन कर चौथी बार इडी दफ्तर में उपस्थित होने का निर्देश दिया गया था। रांची में सेना के कब्जे वाली जमीन की अवैध खरीद बिक्री से लेकर फर्जी दस्तावेज पर सैकड़ों एकड़ जमीन की गलत जमाबंदी करने के मामले में छवि रंजन आरोपी हैं। 13 अप्रैल को इडी ने इनके रांची, जमशेदपुर समेत 21 ठिकानों पर छापेमारी की थी। इसके बाद इन्हें 21 अप्रैल को इडी दफ्तर में बुलाया गया था। पर पैटरनिटी लीव का हवाला देते हुए वे कार्यालय नहीं आये। 24 अप्रैल को पहली बार इनसे इडी ने क्षेत्रीय कार्यालय में 10 घंटे पूछताछ की थी, इसके बाद एक मई को उपस्थित होने का इन्हें निर्देश दिया गया था, लेकिन वे नहीं आये थे। ईडी ने बीते 28 अप्रैल को दोबारा भेजे समन में आईएएस छवि रंजन को चार मई को ईडी ऑफिस में उपस्थित होने को कहा था । ईडी ने बीते 24 अप्रैल को छवि रंजन से पूछताछ की थी।
इस दौरान उनसे सबसे पहले सेना के कब्जेवाली जमीन की खरीद-बिक्री में उनकी भूमिका से संबंधित सवाल पूछा। इसके बाद उनके खिलाफ बड़गाईं के अंचल अधिकारी मनोज कुमार द्वारा लगाये गये आरोपों के बारे में पूछा। सीओ मनोज कुमार ने पूछताछ में ईडी को बताया था कि उसे प्रदीप बागची द्वारा अंचल कार्यालय में जमा किये गये दस्तावेज पर संदेह था। लेकिन छवि रंजन की ओर से भारी दबाव व दंडित करने की धमकी देने के बाद प्रदीप बागची के पक्ष में रिपोर्ट भेजी गयी। इसके बाद जमीन की रजिस्ट्री हुई। छवि रंजन ने इन आरोपों का खंडन किया और सेना की जमीन की खरीद-बिक्री के मामले में सीओ सहित वहां के कर्मचारियों को दोषी बताया।