अब स्टांप फीस, कोर्ट फीस के लिए मुवक्किलों को देनी होगी अधिक राशि झारखंड के फैक्टरी, कारखाना, निजी कंपनियों में महिलाएं कर सकेंगी नाइट शिफ्ट
L19 DESK : झारखंड सरकार ने कोर्ट फीस में बढ़ोत्तरी कर दी है। विधानसभा के मानसून सत्र में अधिवक्ता कल्याण निधि (संशोधन) विधेयक 2023 पारित कर दिया गया। अब इसे राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन के पास सहमति के लिए भेजा जायेगा। यानी अब आम जनता पर बढ़े हुए कोर्ट फीस का बोझ लाद दिया गया है। सरकार ने वकीलों की वकालतनामा स्टांप दर 15 रुपए से बढ़ा कर 30 रुपए कर दिया है। इससे राज्य भर में प्रैक्टीस करनेवाले 30 हजार से अधिक अधिवक्ताओं को फायदा होगा। एक ओर जहां सरकार ने वकीलों को बड़ी राहत प्रदान की है, वहीं आम जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ा दिया गया है।
बुधवार को सदन ने वकीलों को राहत का स्वागत तो किया मगर इसका बोझ आम जनता, खाशकर गरीब-ग्रामीण जनता पर आर्थिक बोझ डालने का विरोध हुआ। आजसू विधायक लंबोदर महतो ने कहा कि वकीलों को राहत दिए जाने से कोई दिक्कत नहीं है। मगर इसका बोझ गरीब जनता पर डालना गलत है। सरकार को इसे अनुदान के तौर देना चाहिए, इसका बोझ जनता पर नहीं डालना चाहिए। इसका समर्थन माले विधायक विनोद सिंह ने भी किया। विधानसभा मे कारखाना (झारखंड संशोधन) विधेयक, 2023 भी पास हो गया। सरकार ने फैक्टरी अधिनियम 1948 में संशोधन करते हुए महिलाएं भी फैक्टरी अथवा कारखाने या किसी निजी कंपनी अथवा कारखाने में रात्रि पाली में काम करने के मसौदे को पास करा लिया है।
इससे अब महिलाएं भी शाम सात बजे से सुबह छह बजे तक नाइट शिफ्ट के रूप में कारखानों अथवा निजी कंपनियों में काम कर सकेंगी। फैक्टरी अधिनियम 1948 में रात्रि में महिलाओं के काम करने पर पाबंदी थी। मगर अब महिलाओं के लिए नाइट शिफ्ट में काम करने का रास्ता खुल गया है। सरकार का मानना है कि नाइट शिफ्ट में महिलाओं को काम करने की अनुमति देकर महिलाओं को भी बराबरी का हक प्रदान किया जा रहा है। श्रम मंत्री मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने कहा कि इससे झारखंड राज्य में रोजगार एवं औद्योगिकरण में तेजी आएगी।
साथ ही कारखानों को अपने उत्पादन के लक्ष्य का निर्धारण कर इसे प्राप्त करने में सुगमता होगी। दूसरी ओर महिला एवं पुरुष कामगारों के जीवनयापन में समान अवसर प्रदान होंगे। सदन में इस विधेयक का विरोध आजसू विधायक लंबोदर महतो ने करते हुए इस पर समग्र विचार के लिए प्रवर समिति को सौंपने की मांग रखी। उन्होंने कहा कि यह फैक्टरी एक्ट 1948 के प्रावधानों का सरासर उल्लंघन है, जिसमें महिलाओं को रात्रि पाली में काम करने मनाही है। यह अधिनियम महिला विरोधी है। महिला सुरक्षा के विरोध में है।