L19 DESK : आदिवासी समाज के धर्म गुरू (58) वर्षीय डॉ प्रवीण उरांव का मंगलवार को हृदयाघात की वजह से निधन हो गया। उन्हें स्थानीय अस्पताल में ले जाया गया, पर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। झारखंड आंदोलनकारी और राष्ट्रीय सरना धर्म गुरू रहे प्रोफेसर और डॉ प्रवीण उरांव के असामयिक निधन से पूरा समाज हतप्रभ है । समाज में शोक का लहर व्याप्त है। संजय गांधी मेमोरियल कालेज में प्रोफेसर भी थे। मंगलवार को उन्हें अचानक सीने में दर्द हुआ था । डॉ प्रवीण कुमार अपनी पत्नी समेत भरा-पूरा परिवार छोड़ गये हैं। बुधवार को रातू स्थित उनके पैतृक गाँव मे मिट्टी दिया जाएगा फिलहाल उनके करीबी उनके शव का अन्त्यपरीक्षण रिम्स मे करवा रहे है ताकि उनकी मौत के कारणों का पता चल सके इन्होंने लोकतंत्र 19 में सरहुल पर्व को लेकर अपना आखिरी इंटरव्यू दिया था। सरना धर्म गुरू के रूप में इन्होंने समाज के लोगों के बीच में जागरुकता का अलख जगाने का कई कार्य किया। इनके निधन से आदिवासी समाज को अपूरनीय क्षति हुई है।
धर्म गुरु के निधन पर विधायक राजेश कछप सिलपी नेहा तिर्की , पूर्व मंत्री बंधु तिर्की, धर्म गुरु बंधन तिग्गा समेत अन्य लोगों ने गहरी संवेदना प्रकट की है। वही, केन्द्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की ने डॉ प्रवीन उरांव के निधन पर गहरा शोक प्रकट किया हैं, उन्होंने कहा है की यह आदिवासी समाज के प्रखर बुद्धिजीवी थे और समाज को बढाने में इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
दूसरी ओरअखिल भारतीय आदिवासी विकास परिसद की कुन्द्रसी मुंडा ने कहा की इनके निधन की भरपाई नही हो सकती डॉ उरांव सरना और आदिवासी समाज के उत्थान में इनके योगदान को भुलाया नही जा सकता इनके जरिये ही पड़हा सरना समाज की स्थापना की गयी, ये निस्वार्थ भाव से सरना समाज के उत्थान के लिए हमेशा खड़े रहे।