L19 DESK : भारत के मिसाइलमैन कहे जाने वाले अवुर पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम ( एपीजे अब्दुल कलाम )जी की आज 8वीं पुण्यतिथि है। अब्दुल कलाम एक महान विचारक, लेखक और वैज्ञानिक थे। भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में कलाम अपना योगदान दे चुके है। अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 में तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था। और 27 जुलाई 2015 को IIM शिलॉन्ग में भाषण देते वक्त दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। उनके 8वीं पुण्यतिथि पर जानिए उनसे जुड़े अनछुए पहलुओं के बारे में।
कलाम का बचपन
अगर तुम सूरज की तरह चमकना चाहते हो, तो पहले सूरज की तरह तपना सीखो। ये पंक्ति कलाम के जीवन की संघर्ष पर फिट बैठती है। क्योंकि कलाम का जीवन काफी संघर्ष और कठिनाइयों से भरा था। अब्दुल कलाम अपने परिवार में काफी लाडले थे, लेकिन उनका परिवार काफी गरीबी से जूझ रहा था जिसके वजह से उन्हे बचपन से ही अपने परिवार की जिम्मेदारियां उठानी पड़ी। उनके घर में बिजली नहीं हुआ करती थी और कलाम ढिबरी जलाकर या स्ट्रीट लाइट के पास बैठ कर अपनी पढ़ाई किया करते थे। कलाम मदरसे में पढ़ने के बाद सुबह रमेश्वरम के रेलवे स्टेशन और बस अड्डे पर जाकर समाचार पत्र जमा करते थे। और फिर शहर के सड़कों पर दौड़कर पेपर बेचा करते थे। बचपन में ही आत्मनिर्भर बनने की तरह यह उनका पहला कदम था।
कलाम की शिक्षा
एपीजे अब्दुल कलाम 19 साल के थे, तब दूसरे विश्वयुद्ध की भयंकर कांड को भी उन्होंने महसूस किया। युद्ध की आग रामेश्वरम के द्वार तक पहुंच गई थी। इन परिस्थतियों में खाने सहित सभी जरूरत के चीजों का अभाव हो गया था। जिस वजह से उनकी पढ़ाई मे भी काफी मुश्किले आई थी। कलाम अपनी प्रांरभिक शिक्षा पूरी करने के बाद तिरुचिरापल्ली के सेंट जोसेफ कॉलेज से 1954 भौतिक विज्ञान में बी0एस0सी (B.Sc) की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद 1955 में वह मद्रास चले गये। कलाम जी को लड़ाकू पायलट बनना था जिसके लिए उन्होनें Institute of Technology in Aerospace Engineering में शिक्षा ग्रहण की परन्तु परीक्षा में उन्हें नौवां स्थान मिला जबकि आईएएफ (IAF) ने आठ परिणाम घोषित किये जिसके कारण वह सफल नहीं हो पायें।
ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद कलाम एक प्रोजेक्ट पर काम करने लगे थे और प्रोजेक्ट इंचार्ज ने रॉकेट के मॉडल मात्र तीन दिन में पूरा करने का समय दिया था और साथ में यह भी कहा था कि अगर यह मॉडल ना बन पाया तो उनकी स्कॉलरशिप रद्द हो जायेंगी। फिर क्या था? अब्दुल कलाम जी ने न रात देखी, ना ही दिन देखा, ना भूख देखी, ना ही प्यास देखी। मात्र 24 घंटे में अपने लक्ष्य को पूरा किया और रॉकेट का मॉडल तैयार कर दिया। प्रोजेक्ट इंचार्ज को विश्वास नहीं हुआ कि यह मॉडल इतनी जल्दी पूरा हो जायेंगा। उस मॉडल को देखकर प्रोजेक्ट इंचार्ज भी हैरान हो गए थे। इस तरह डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने अपने जीवन कई चुनौतियों का डटकर सामना किया।
कलाम का करियर का सफर
ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद कलाम जी ने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन में एक वैज्ञानिक के रूप में शामिल हुए। इन्होनें प्रसिद्ध वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के साथ भी काम किया। 1969 में कलाम इसरो (ISRO) आ गये और वहां पर इन्होनें परियोजना निर्देशक के पद पर काम किया। इसी पद पर काम करते समय भारत का प्रथम उपग्रह रोहिणी पृथ्वी की कक्षा में साल 1980 में स्थापित किया। इसरो में शामिल होना कलाम के लिए बहुत ही सौभाग्य की बात थी क्योंकि उनको ऐसा लगा कि जिस उद्देश्य के लिए वह जी रहे है उनका वह उद्देश्य पूरा होने लगा है।
बता दे की कलाम 10 साल तक डीआरडीओ के अध्यक्ष भी रह चुके थे। साल 1963-64 में अब्दुल कलाम ने अमेरिकी संगठन नासा (NASA) में भी दौरा किया। भारत के प्रसिद्ध परमाणु वैज्ञानिक राजा रमन्ना ने पहला परमाणु परीक्षण किया जिसमें कलाम जी को परीक्षण करने के लिए बुलाया गया। 1970-1980 के दशक में डॉ अब्दुल कलाम अपने कार्यों की सफलता के कारण देश के प्रसिद्ध वैज्ञानिक बन गये और ख्याति बढ़ने के कारण उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपने केबिनेट की मंजूरी के बिना ही कुछ गुप्त कार्यों के लिए अनुमति दी थी।
राष्ट्रपति का सफर
18 जुलाई 2002 को कलाम भारत के 11वें राष्ट्रपति बनाया गया। इन्हे भारतीय जनता पार्टी समर्थित एनडीए घटक दलों ने अपना उम्मीदवार बनाया था। जिसका वामदलों के अलावा बाकी दलों ने भी समर्थन किया था। कलाम ने 25 जुलाई 2002 को संसद भवन के अशोक कक्ष मे राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी। 25 जूलाई 2007 को उनका कार्यकाल समाप्त हो गया था।