L19/Ranchi : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शनिवार को बीआइटी मेसरा के 69वें स्थापना दिवस समारोह में शिरकत की। उन्होंने कहा कि मेरे साथ अजीब स्थिति उत्पन्न हो जाती है बीआइटी मेसरा परिसर में आने पर। मैं यहां बतौर मुख्यमंत्री यहां उपस्थित हूं और कुलपति मुझे सर कह कर पुकारते हैं। मुझे अजीब लगता है। मुझे समझ में नहीं आता है कि मैं क्या हूं। मैंने वह समय इस परिसर में गुजारा है, जब देश एक बड़े रीफार्म से गुजर रहा था। इस संस्थान की समस्याओं का समाधान हो, मैं यह चाहता हूं। सरकार के साथ जो आपके विषय है, उसका सिंगल विंडो सिस्टम से समाधान होगा। किसी के पास जाने की जरूरत नहीं है। आप सीधे इस तौर पर हमारे पास आयें। मैं जानता हूं कि सरकारी व्यवस्थाएं कैसे चलती हैं। यह सबसे बड़ी चुनौती है। राजनीतिक रास्ते में निकले हैं। उसमें राज्य भर के सभी पदों पर रहे हैं। विधायक, नेता प्रतिपक्ष, उप मुख्यमंत्री, मुख्यमंत्री तक रहा। कम समय में यह सफर तय किया है। राज्य के प्रति शिक्षा को लेकर जो हमारी सोंच है कि उससे विकास की बातें करता हूं।
उन्होंने कहा कि यह हमलोगों के लिए सौभाग्य और प्रदेश के लिए गौरव की बात है। उस समय हम अविभाजित बिहार में थे। देश का यह तीसरा तकनीकी संस्थान 1952 में झारखंड में बना। देश के आजाद होने के बाद देश के अलग-अलग सोंच, अलग-अलग तरीके के काम करनेवाले लोग, जो एक नयी ऊंचाईं की ओर जाने की सोंच रहे थे। उन्होंन इस प्रदेश को सजाने का काम किया है। अभी हमलोगों ने सुना की देश का तीसरा तकनीकी संस्थान ने कई उपलब्धि हासिल की। एचइसी भी उद्योगों की मदर इंडस्ट्री है। यह भी इसी राज्य में बना। देश का सबसे पहला ऊर्वरक संयंत्र भी इसी राज्य में बना। एशिया का सबसे बड़ा बोकारो इस्पात संयंत्र भी इसी राज्य में बना। कई चीजें जो मुझे लगता है कि इस राज्य को अनेकों तरीकों से विकसित करती है। इसी राज्य में देश का पहला औऱ आखिरी माइनिंग इंस्टीट्यूट में बना, जो आइआइटी आइएसएम है। हजारों की संख्या में बीआइटी मेसरा ने इंजीनियर बनाये, जो अलग-अलग देशों में ऊंचे ओहदों पर काम कर रहे हैं। झारखंड प्रदेश के सबसे अधिक आइएएस, आइपीएस भी यहां से निकले। नेतरहाट स्कूल भी इसी राज्य में अवस्थित है, जहां से अनगिनत आइएएस, आइपीएस निकले। इस प्रदेश से कई ऐसी चीजें बन कर निकली है। चंद्रयान-3 का सफल प्रक्षेपण हुआ। उसका शटल एचइसी में बना। लेकिन कहा जा सकता है कि हर चीज की एक उम्र होती है। बचपन से लेकर जवानी तक लोग अलग अलग क्षमता से काम करते हैं। सभी औद्योगिक घरानों ने अपनी क्षमता से किया। एचइसी बुढ़ापे की ओर अग्रसर है। उसका गुजर बसर कैसे हो, इसकी चिंता है। अगर सोंच के साथ हम बढ़ें, तो ये सारी चीजें बूढ़े नहीं हो सकती, और ऊर्जावान और क्षमता के साथ काम किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर बीआइटी मेसरा खड़ा है, आज यह संस्थान नये आयाम को चूम रहा है। इसके पीछे यह कारण है कि इसके साथ जुड़े हुए लोगों ने अपने इमानदार प्रयास से इसे आगे बढ़ाया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अनुशासित लोगों की टीम इसे आगे बढ़ाने का काम कर रही है। 10 हजार बच्चे अलग-अलग कोर्स में पठन-पाठन कर रहे हैं। सर्विस से जुड़े शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मी हैं। कई चुनौतियां हैं, समस्याएं हैं। समाधान भी निकालने का प्रयास लगातार किया जा रहा है। आज इस परिसर के कैंपस को उस समय देखा था, जब सिर्फ छत ही थी। बदलाव और जरूरत को सामंजस्य करते हुए परिसर आगे बढ़ रहा है। सौभाग्य की बात है कि आज एक छात्र होने के नाते भी मैं यहां हूं. कह सकता हूं कि एक गार्डियन के रूप में भी मेरी उपस्थिति है। दोनों जिम्मेवारी आप लोगों ने हमलोगों के हिस्से में दिया है। कुलपति महोदय ने उपलब्धियां गिनायी। यहां के बच्चे कंपनियों से लेकर पद्मश्री तक सुशोभित हो रहे हैं। बीआइटी मेसरा में दाखिला एक कठिन झंझावत है। मेरा नाता इससे छूट नहीं रहा है। हमलोगों ने अभी हाल में ही 80 मॉडल स्कूल स्थापित किये हैं। पहले 40 बच्चों के लिए एक शिक्षक होते थे। अलग-अलग कक्षाओं में अब आइआइएम से प्रशिक्षित शिक्षकों से अध्यापन का कार्य करा रहे हैं। राज्य में गरीबी बड़ी समस्या है। प्राकृतिक संसाधनों में हम भरपुर हैं। प्राकृतिक संसाधनों से देश का एक बड़ी जिम्मेवारी भी हमारे कंधे पर है। देश के रेलवे को देखें। झारखंड से रेलवे को सबसे अधिक रेवेन्यू आता है। हमारे यहां यूरेनियम कारपोरेशन जैसी कंपनियां काम कर रही हैं। इस खनिज को लेकर दुनिया में अलग-अलग तरीके से खनिज संपदाओं को रखते हुए सपने गढ़े जा रहे हैं। कोयला, लोहा आम की बात है।
मैं बूढ़ा पहाड़ गया था। 40 साल बाद शहर से कोई वहां पहुंचे थे। घनघोर जंगल था। नक्सलियों का गढ़ था। रास्ता तो था नहीं, नक्सलियों के डर से कोई जाता नहीं था। आइइडी लगा कर पूरे क्षेत्र को नक्सलियों ने अपने कब्जे में लेकर रखा था। 30 साल, 35 साल का समय महत्वपूर्ण था। मैं और पत्रकार हेलीकाप्टर से वहां लिफ्ट करके पहुंचाये गये। राज्य और सीआरपीएफ के कमांडेंट वहां थे, उन्होंने कहा कि सर हमें तो लगता है कि झारखंड में सबसे खुबसूरत वादी है। खुबसूरत वादियों को पुनः संवारने, सजाने में लगे हैं। यहां के लोग और ग्रामीणों की समस्याओं को समझना होगा। कुलपति ने कहा कि बीआइटी के कैंपस की बाउंड्री हो। ओपेन स्पेश थिएटर को एयर कंडिशन किया गया। सोंच बदलती रहती है। आपलोग कई सारी चीजों में बदलाव चाहते हैं। कभी सिक्यूरिटी का इश्यू होता था। एक ऐसा वक्त था कि सुरक्षा की कभी समस्या नहीं होती थी। रांची एक अलग शहर था। बीआइटी मेसरा भी अलग शहर के रूप में था। शहरीकरण के साथ विकास हो रहा है। रेलवे स्टेशन भी पास में हैं। आप लोग एरियल विऊ भी देखा। इसी के ऊपर से हमारा हेलीकाप्टर चलता है। कई बार मोबाइल से फोटो खींचा और लोगों को दिखाता हूं। आज इतना बड़ा परिसर बनाने के बारे में कोई सोंच नहीं सकता है। पुराने लोग दूरदर्शी थे। इसे इतिहास के सुनहरे अक्षरों पर लिखा जायेगा। कई समस्याओं को भी हम जन्म दे रहे हैं। आज दिल्ली सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में से एक है। मेरा एक दोस्त दिल्ली में रहता है। पति, पत्नी दोनों काम करते हैं। बच्ची है, तो उसे घूमानेवाला कोई नहीं है। पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन पर बड़ी बड़ी बातें हो रही हैं। हमारी सरकार ने एक निर्णय लिया है। गांव में बिजली, पानी की समस्या है। आवश्यकता है।
बीआइटी के स्थापना दिवस समारोह में शामिल हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, कहा बीआइटी मेसरा की समस्याओं का समाधान सिंगल विंडो सिस्टम से होगा
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