L19/Ranchi : सेना के कब्जेवाली जमीन की नयी जमाबंदी कराने के लिए पूर्व डीसी छवि रंजन ने एक करोड़ रुपये लिये थे। यह आरोप प्रवर्तन निदेशालय (इडी) की तरफ से गिरफ्तार किये गये आइएएस अधिकारी पर कोर्ट में पेशी के समय लगाये गये। इडी ने यह भी कहा कि कारोबारी विष्णु अग्रवाल ने दिल्ली के एक ट्रैवेल एजेंट से आइएएस छवि रंजन के लिए गोवा की ट्रिप एरेंज करायी थी। इडी ने कहा है कि जमीन के दस्तावेज में जालसाजी कर सेना के कब्जेवाली जमीन के अलावा चेशायर होम रोड और बजरा मौजा की जमीन की खरीद-बिक्री की गलत तरीके से की गयी है। यह सारा कुछ पावर ब्रोकर प्रेम प्रकाश, कोलकाता के कारोबारी अमित अग्रवाल ने कराया। प्रेम प्रकाश के माध्यम से सेना के कब्जेवाली जमीन का म्यूटेशन किया गया। क्योंकि प्रेम प्रकाश के शागीर्द रहे पुनीत भार्गव ने खाता 37 की जमीन कारोबारी विष्णु अग्रवाल को बेचा था। इसके बाद बड़गाई अंचल के सीओ मनोज कुमार ने विष्णु अग्रवाल द्वारा खरीदी गयी जमीन का म्यूटेशन कर दिया। विष्णु अग्रवाल को जमीन बेचने से पहले पुनीत भार्गव ने राजेश राय नामक व्यक्ति से खाता 37 की जमीन खरीदी, जिसका डीड गलत तरीके से कोलकाता में बनाया गया था।
यह सब करने के लिए ही एक सिस्टम इजाद किया गया कि पैसा बनाओ और गलत कागजातों के आधार पर जमीन की रजिस्ट्री कराओ। बरियातू रोड स्थित रामेश्वरम में सेना के कब्जे वाली जिस जमीन की खरीद-बिक्री की जांच ईडी कर रही है, उसकी गलत रिपोर्ट बड़गाई अंचल के अंचल अधिकारी मनोज कुमार ने दी थी। अंचल अधिकारी ने यह लिख दिया कि खाता नंबर 37 की जमीन पर प्रदीप बागची का पहला दावा बनता है। तत्कालीन उपायुक्त छवि रंजन को 25 सितंबर 2021 को भेजी गयी जांच रिपोर्ट में बड़गाईं सीओ मनोज कुमार ने यह स्पष्ट रूप से यह बातें लीखी थीं। बड़गाईं सीओ की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदीप बागची के पूर्वजों ने वर्ष 1932 में डीड संख्या 4369 के माध्यम से यह भूमि मूल रैयतों से खरीदी है। जमीन के निबंधन को लेकर तैयार किये गये जिस डीड संख्या 4369 का जिक्र किया जा रहा है, वह कोलकाता रजिस्ट्री ऑफिस का है। प्रदीप बागची को बड़गाईं सीओ ने सेना के कब्जे वाली भूमि का पहला दावेदार तो बता दिया। अपनी रिपोर्ट में अंचल अधिकारी ने यह नहीं लिखा है कि प्रदीप बागची के पूर्वजों ने किस रैयत से उक्त जमीन की खरीदारी की है, शायद यही वजह है कि जब प्रदीप बागची यह जमीन बेचने पहुंचे गये।
तत्कालीन रजिस्ट्रार घासीराम पिंगुआ ने निबंधित दस्तावेज (डीड) पर स्पष्ट रूप से यह लिख दिया कि “उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी को संबोधित अंचल अधिकारी बड़गाईं के ज्ञापांक -847 (2 ) (25/9/2021) के अलोक में निबंधन किया गया” है। सेना के कब्जेवाली जिस भूमि को लेकर ईडी ने झारखंड समेत तीन राज्यों में छापेमारी की और जांच कर रही है, उसकी खरीद-बिक्री का खेल 2020 के अंतिम महीनों में ही लिखी गई थी। पूरी बिसात बिछाकर तैयार हुई, तो एक ही दिन में 4 एकड़ 55 डिसमिल जमीन की बिक्री कर दी गयी। जमीन खरीदने वाले ने स्टांप ड्यूटी के रूप में कुल 83 लाख 3 हजार 368 रुपये दिये गये, सरकार को इस रजिस्ट्री के लिए फीस के रूप में 62 लाख 34 हजार 460 रुपये मिले। यानि कुल करीब एक करोड़ पैंतालीस लाख रुपये से ज्यादा पैसे सिर्फ इस जमीन की रजिस्ट्री के लिए स्टांप और फीस के रूप में भुगतान किया गया। जगत बंधु टी एस्टेट ने ये रकम चुकाई, क्योंकि इस बेशकीमती जमीन की सरकारी दर से निर्धारित कीमत करीब 4 लाख 55 हजार रुपये प्रति डिसमील है। लेकिन पूरे भूखंड (4.55) एकड़ का सौदा मात्र 7 करोड़ रुपये में दिखाया गया।