L19 DESK : सीएम हेमंत सोरेन से 20 जनवरी को हुई ईडी की पूछताछ के बाद राज्य में सियासी घमासान छिड़ गया है। बीते दिनों झामुमो ने सीआरपीएफ जवानों पर इल्जाम लगाया था कि 20 जनवरी को पूछताछ के दौरान सीआऱपीएफ के सैकड़ों जवान बसों में भरकर बिना किसी अनुमति के सीएम आवास में प्रवेश करने की कोशिश करने लगे थे। साथ ही झामुमो कार्यकर्ताओं से उलझने भी लगे थे।
सीआरपीएफ पर प्राथमिकी सरकार की गलती : राज्यपाल
इस बीच अब राज्यपाल भी इस घमासान में कूद पड़े हैं। राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि हेमंत सोरेन से पूछताछ वाले दिन सीएम हाउस के पास बिना मतलब के बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ जुटाना सरकार और पार्टी की गलती थी। भारी संख्या में लोग जुटने के कारण ही सीआरपीएफ को बुलाया गया था। राज्यपाल ने ये भी कहा कि सीआरपीएफ पर एफआईआर कराना गलत है। ये बयान उन्होंने बीते दिनों राष्ट्रीय मतदाता दिवस कार्यक्रम के बाद मीडियाकर्मियों से बातचीत के दौरान दिया है।
राज्यपाल के बयान पर झामुमो का पलटवार
सीपी राधाकृष्णन के इस बयान के बाद झामुमो ने पलटवार किया है। पार्टी के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि झामुमो इस बयान को अप्रत्याशित और अनावश्यक समझता है। पार्टी का कहना है कि राज्यपाल को ऐसा बयान किसी सार्वजनिक मंच पर नहीं, बल्कि प्रतिक्रिया की तरह व्यक्त करनी चाहिये थी, वरना यही समझा जायेगा कि उनका यह बयान राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित है। और ये निंदनीय है।
पार्टी का कहना है कि राज्यपाल को संवैधानिक प्रमुख होने के नाते कार्यपालिका की भी पूरी जानकारी है। उनके साथ राज्य सरकार के प्रधान सचिव रहते हैं। यह भी स्पष्ट है कि जिला दंडाधिकारी द्वारा अर्द्धसैनिक या सैन्य बल और एनडीआरएफ की मांग की जाती है। क्या राज्यपाल को यह नहीं पता कि ऐसी कोई मांग नहीं की गई।
क्या है मामला ?
बता दें कि सीआरपीएफ पर निशाना साधते हुए झामुमो ने आरोप लगाया कि वे चाहते थे कि प्रदर्शनकारी और पार्टी कार्यकर्ता सीआरपीएफ कर्मियों पर हमला कर दें, ताकि राज्य सरकार पर संवैधानिक व्यवस्था की विफलता का आरोप लगाया जा सके और राष्ट्रपति शासन लगाने की जमीन तैयार की जा सके। झामुमो ने मांग की कि सरकार इस मामले की उच्चस्तरीय जांच का आदेश दे और सीआरपीएफ अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करे। वरना, पार्टी प्रदर्शन का रास्ता अपनाएगी।
गृह विभाग को सौंपी गयी जांच रिपोर्ट
इधर सीआरपीएफ के आइजी, कमांडेंट सहित 500 अज्ञात जवानों के खिलाफ रांची के गोंदा थाना में प्राथमिकी किये जाने के मामले में डीजीपी, रांची डीसी और एसएसपी ने गृह विभाग को रिपोर्ट भेजा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 20 जनवरी को दोपहर 2.30 बजे एलपीएन शाहदेव चौक पर कई वाहनों से सीआरपीएफ के अधिकारी और जवान सीएम आवास की ओर जाने की कोशिश कर रहे थे। इसमें सीआरपीएफ ने एसओपी का पालन नहीं किया था।
सीआरपीएफ को पहले स्थानीय पुलिस प्रशासन को सूचित करना चाहिये था। लेकिन नहीं किया गया। जबकि जिला प्रशासन ने सीआरपीएफ से वापस जाने का अनुरोध किया था। क्षेत्र में धारा 144 लगायी गयी थी, और इसकी जानकारी सीआरपीएफ जवानों को दी गयी थी, इसके बावजूद वे पुलिस से उलझते रहे।
ईडी के नौंवे समन पर हेमंत सोरेन ने दिया ये जवाब
वहीं, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी ने एक बार फिर से तलब किया है। ईडी ने 9वां समन भेजकर हेमंत सोरेन से फिर से दिन समय और जगह तय करने को कहा है। उन्हें 27 से 31 जनवरी के बीच की किसी डेट तय करने को कहा गया है, जहां उनसे पूछताछ किया जा सके। वहीं इसके जवाब में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि वह 31 मार्च तक बिजी हैं। इसलिये अब पूछताछ के लिये मौजूद नहीं हो सकते।