L19/Ranchi : शराब घोटाला मामले के आरोपी योगेंद्र तिवारी अब बुरी तरह से ईडी के शिकंजे में फंस चुके हैं। ईडी ने पीएमएलए कोर्ट में दाखिल चार्जशीट में योगेंद्र तिवारी का कच्चा चिट्ठा खोल कर रख दिया है। ईडी के चार्जशीट के मुताबिक, योगेंद्र तिवारी ने बालू और जमीन के व्यापार से हुई अवैध कमाई शराब के व्यापार में लगायी। वह कई कंपनियों का डायरेक्टर था तो कुछ में पार्टनरशीप और पारिवार के सदस्यों को जोड़ा था। कुछ सहयोगियों ने बताया कि कई बैंक खाते उनके नाम पर तो खुले थे, मगर उनका संचालन योगेंद्र तिवारी कर रहा था।
योगेंद्र तिवारी ने दर्जन भर कंपनियों और सहयोगियों के बैंक खातों से मनी लॉन्ड्रिंग के खेल को अंजाम दिया था। उसने बालू की अवैध बिक्री से करीब 9 करोड़ और देवघर के राय बंगला की जमीन बेचकर साढ़े 5 करोड़ के करीब जुटाए हैं। बालू और जमीन से हुई इस अवैध कमाई को शराब के व्यापार से जुड़ी 11 कंपनियों के खाते में जमा किया गया। साथ ही इसे लाइसेंस फीस चुकाने में भी उपयोग किया गया।
साल 2021 में झारखंड की शराब नीति में अहम बदलाव हुए। तब शराब की थोक बिक्री का जिम्मा निजी कंपनियों को सौंपा जाना था। इसमें योगेंद्र तिवारी भी शामिल हुआ। उसने शराब की थोक बिक्री से संबंधित 14 लाइसेंस हासिल हुआ। इसके साथ ही योगेंद्र तिवारी बालू के धंधे से भी जुड़ा हुआ था। साल 2015 से 16 के बीच उसे निलामी के दौरान 3 साल के लिये 23 घाट मिले थे। 2017-18 मे उसने बालू बेचने के लिये 23 डीलर का लाइसेंस भी लिया। साल 2018-19 में भी नयी नीति से बालू की बिक्री शुरु हुई। उस वक्त भी योगेंद्र तिवारी की कंपनी को देवघर में तीन साल के लिये बालू खनन, ट्रांसपोर्टेशन और स्टोरेज के लिये लाइसेंस मिला।
योगेंद्र तिवारी शराब के निर्माण और बिक्री का कारोबार करता था। वहीं, बालू के धंधे में उसने खनन से लेकर डीलरशीप तक का काम लिया। वह जमीन की खरीद बिक्री और होटल के धंधे से भी जुड़ा था। ईडी ने कोर्ट को ये भी बताया है कि योगेंद्र तिवारी ने दो शादियां कर रखी हैं। उसने अपनी दोनों पत्नियों, भाई-भाभी और पिता के नाम पर भी अपने अवैध कारोबार का विस्तार किया था।
इससे पहले भी चार्जशीट दाखिल कर ईडी योगेंद्र तिवारी के काले कारोबार का खुलासा पीएमएलए कोर्ट में कर चुकी है। उस दौरान पता चला था कि योगेंद्र तिवारी ने अधिकारियों के सहयोग से शराब बिक्री का टेंडर मैनेज किया था। वहीं इसमें प्रेम प्रकाश की भी अहम भूमिका रही है। आपको बता दें कि इसी साल 23 अगस्त को ईडी ने योगेंद्र तिवारी के 12 ठिकानों पर छापेमारी की थी। इसके बाद 19 अक्टूबर को गिरफ्तार कर उन्हें सलाखों के पीछे भेज दिया गया।