L19/Ranchi : डिलिस्टिंग की मांग को लेकर जनजाति सुरक्षा मंच की ओर से 24 दिसंबर को एक रैली का आयोजन किया जा रहा है। इस बाबत राज्य के विभिन्न सामाजिक कार्यकर्ताओं व जन संगठनों के प्रतिनिधियों की ओर से आज राज्य सरकार के मुख्य सचिव, गृह सचिव, पुलिस महानिदेशक, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक व रांची डीसी को पत्र लिखा गया है। पत्र के माध्यम से इन्हें जानकारी दी गयी है कि रैली पर कड़ी निगरानी रखी जाये।
डिलिस्टिंग के माध्यम से ईसाई व इस्लाम धर्म को अपनाने वाले आदिवासियों को अनुसूचित जनजाति की लिस्ट से हटाने की मांग की जा रही है। इसी मांग को लेकर जनजाति सुरक्षा मंच द्वारा रैली आयोजित किया जा रहा है, जिसका राज्य के विभिन्न सामाजिक कार्यकर्ता और जन संगठन विरोध कर रहे हैं। राज्य सरकार के अधिकारियों को लिखे पत्र में कहा गया है कि जनजाति सुरक्षा मंच का उद्देश्य आदिवासियों को सरना-ईसाई के नाम पर आपस में लड़ाना, उनकी जमीन को लूटना, आदिवासियों के अपनी पहचान को खत्म करना और देश को हिंदू राष्ट्र बनाना है।
पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों के अनुसार उनका उद्देश्य राज्य प्रशासन को याद दिलाना है कि संविधान की धारा 366 और 342 के माध्यम से ही किसी भी आदिवासी समूह को अनुसूचित जनजाति माने जाने का स्पष्ट प्रावधान है। इन धाराओं में धर्म का कहीं कोई जिक्र नहीं है। साथ ही झारखंड समेत पूरे देश के अधिकांश सरकारी उपक्रमों जैसे विभिन्न सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, नौकरशाही, विश्वविद्यालयों आदि में अनुसूचित जनजाति के लिये आरक्षित सीटें आधे से ज्यादा खाली हैं।
मगर जनजाति सुरक्षा मंच द्वारा सोशल मीडिया व अपने कार्यक्रमों में लगातार भ्रामक खबरों के माध्यम से आदिवासी समाज में धर्म के नाम व आरक्षण संबंधित तथ्यहीन बातों पर सांप्रदायिक विभाजन बनाने की कोशिश की जा रही है। हालांकि, प्रशासनिक स्तर से इसे रोकने के लिये कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
इसके साथ ही पत्र सौंपने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं ने राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था पर आश्चर्य जताते हुए कहा है कि यह अचंभे की बात है कि ऐसे सांप्रदायिक व असंवैधानिक मांग पर कार्यक्रम आयोजन करने की अनुमति कैसे दे दी गयी। क्रिसमस के एक दिन पहले जनजाति सुरक्षा मंच द्वारा डीलिस्टिंग के मांग पर रैली का आयोजन करना आदिवासियों के बीच धर्म के नाम पर सांप्रदायिकता फैलाने की कोशिश है।
इसके साथ ही झारखंड प्रशासन से मांग की गयी है कि अगर रैली के दौरान नफरती, सांप्रदायिक व भड़काऊ भाषण दिया जाता है, तो अश्विनी कुमार उपाध्याय बनाम यूनियन ऑफ इंडिया व ओआरएस मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के अनुसार दोषियों व आयोजकों के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 153A, 153B, 295A, 505(1) समेत अन्य संबन्धित धाराओं के अंतर्गत बिना शिकायत के स्वतः संज्ञान लेकर प्राथमिकी दर्ज की जाये।