L19 DESK : भाजपा और झामुमो के पास आदिवासी एजेंडा और एक्शन प्लान नहीं है। केवल झूठ का प्रचार है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जहां खुद मरांग बुरु (पारसनाथ, गिरिडीह) की रक्षा के बदले उन्हे पत्र लिखकर जैनों को सौंपने का काम करते हैं। लुगू बुरु (लालपनिया, बोकारो) का भी हिंदुकरण , हैंडल पावर प्लांट और पर्यटन स्थल बनाकर संतालों के महान धर्म स्थल को खुद बर्बाद कर रहे हैं।
ठीक उसी प्रकार झामुमो के एमएलए / एमपी खुद संताली भाषा और उसकी ओल -चिकि लिपि का विरोध करते हैं। झारखंड की प्रथम राजभाषा नहीं बनाने का फैसला करते हैं। मगर आदिवासी जनता को गुमराह करने के लिए झामुमो की भी टीम उसकी मांग करने का ढ़ोंग करती है।
वही भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी आदिवासी अधिकार यात्रा के नाम से जनता को गुमराह करते हैं। यात्रा में आदिवासी हासा, भाषा, जाति, धर्म (सरना), रोजगार, मरांग बुरु, लुगु बुरु आदि बचाने की बात और मुद्दे गायब हैं। अंतत: दोनों पार्टियों ने झारखंड में शासन किया मगर ना स्थानीयता नीति बनाई, ना न्यायपूर्ण आरक्षण को स्थापित किया, ना नियोजन नीति ही बना सके। अतः आदिवासी समाज के लिए और “अबुआ दिशोम अबुआ राज” के लिए दोनों ही बेकार और दिशाहीन साबित हो रहे हैं।
बता दे की आदिवासी सेंगेल अभियान के द्वारा 10 दिसंबर को मरांग बुरु बचाओ सेंगेल यात्रा का आयोजन पारसनाथ, गिरिडीह में किया जाएगा। फिर 22 दिसंबर को दुमका में हासा- भाषा विजय दिवस का आयोजन एवं 30 दिसंबर को सरना धर्म कोड के लिए भारत बंद करने को बाध्य किया जाएगा।