L19 Bokaro : 5 पंचायत का मुख्य बाजार तुपकाडीह के रहने वाले पूर्व स्वर्गीय सरपंच पानेशर साव उर्फ़ पागल साव की चर्चा छठ महापर्व के दिनों होते रहती है। बताया जाता है कि 1970 के दशक में उनकी माता जी स्व भादो देवी उत्तर प्रदेश के आगरा में छठ पूजा देख सुनकर अपने यहां पूजा करने की बात अपने बेटे से कहीं और उनके यहां पूजा शुरु हुई।सरपंच अपने परिवार के साथ बहंगी लेकर निकले थे ,तो लोगों का कहना था कि सरपंच यह कौन पूजा कर रहा है ।पागल साव कहीं सही में पागल तो नहीं हो गया । लोग बताते हैं कि सरपंच के पीछे पीछे दर्जनों लोग ठाकुर टॉड मांझी बांध पहुंचकर पूजा और अद्धर्य देते देखा। कईयो ने बांध में ही सरपंच से पूजा की जानकारी लिए। और विधि विधान को देखते लोग में आस्था जगी और अद्धर्य देखकर प्रसाद प्राप्त किए।
बाद धीरे-धीरे पूजा का प्रचार-प्रसार और विस्तार होने लगा ।सरपंच के छत से लाउड स्पीकर में छठ गीत बजते ही लोग जान जाते थे कि छठ पर्व आ गया । दूर-दूर के लोग सरपंच के घर सुप टोकरी फल आदि पहुंचाते और 3 दिन श्रद्धालु महिलाएं उनके घर पर ही रह कर विधान सीखते थे । 70 के दशक से आज तक दर्जनों घरों में यह महापर्व होता है। मांझी बॉध का अस्तित्व समाप्त हो गया है। लेकिन आस्था ने कई नए घाट मसलन पत्थर खदान, तेनु बोकारो नहर, कंपनी बांध तॉतरी को बनाकर शुद्धता के साथ शाम सवेरे पहुंचकर भक्ति प्रेम दिखाते हैं। माता जागरण, भजन कीर्तन के अलावा लोकगीतों से इलाका गुंजन होता है । सरपंच के पुत्रो सुनील अग्रवाल एवं वकील अग्रवाल ने बताया कि पिता जी ओर उनकी मां स्व भादो देवी उत्तर प्रदेश आगरा में छठ पूजा देख सुनकर यहां पूजा करने को कही थी। पुराने लोग श्रद्धा से पूर्व सरपंच को आज भी छठ पगला भक्त कहते हैं।
मुन्ना दुबे पत्रकार ( बेरमों )