L19/Sahibganj : साहिबगंज जिला के बरहेट थाना में पदस्थापित रहे पूर्व थाना प्रभारी हरीश पाठक को जामताड़ा के एस जी एम कोर्ट ने गिरफ्तार करने का वारंट जारी किया है, कोर्ट ने उक्त थाना प्रभारी को गिरफ्तार कर हाजिर करने को कहा है। मामला जामताड़ा के नारायणपुर थाना से जुड़ा हुआ है, वर्ष 2016 में व्हाट्सएप ग्रुप में तथाकथित रूप से विवादित पोस्ट करने के कारण नारायणपुर थाने की पुलिस ने दिघारी निवासी मिन्हाज अंसारी को हिरासत में लिया था।
फिर सूचना मिली थी कि उक्त युवक की मौत पुलिसिया कार्रवाई में पिटाई के कारण हो गई है। हालांकि पुलिस उसे ईलाज के लिए अस्पताल तक ले गए थे, बाद में धनबाद भी रेफर किया गया था, लेकिन उसकी जान नहीं बचाई जा सकी थी। इसके बाद मृतक के परिजनों ने थानेदार हरीश पाठक पर जानबूझ कर हत्या करने का आरोप लगाया था, साथ ही मुकदमा भी दर्ज कराया गया था। राज्य सरकार के पहल पर मिन्हाज अंसारी के परिजनों को मुआवजा भी दिया गया था। तत्कालीन जामताड़ा एसपी मनोज सिंह ने मामले में कारवाई करते हुए निलंबित भी कर दिया था। लेकिन बाद में फिर उसकी पोस्टिंग बरहेट थाना में प्रभारी के पद पर कर दिया गया था।
दारोगा हरीश पाठक का विवादों से रहा है पुराना नाता
हरीश पाठक सिर्फ नारायणपुर थाने में ही विवादित नहीं रहे हैं, वो नारायणपुर से पहले लोहरदग्गा और धनबाद जिले में भी पदस्थापित रहे हैं, वहां भी उन पर कई गंभीर आरोप लगा है। लेकिन इन सब के बावजूद हरीश पाठक का सबसे ज्यादा विवादित चेहरा बरहेट थाना प्रभारी के रूप में रहा। बरहेट थाना क्षेत्र में एक युवती को सरेआम थप्पड़ जड़ देने सहित, हाथीगढ़ गांव के समाज सेवी नंदलाल साह पर भी कई तरह के बेबुनियाद आरोप लगाने का विवाद रहा है। यहीं नहीं राज्य के चर्चित व्यवसाई अपहरण कांड और हत्या मामले में भी हरीश पाठक की भूमिका संदेह के घेरे में थी।
मामला वर्ष 2020 की थी, जब साहिबगंज जिला के बोरियो प्रखंड के अनाज व्यवसायी अरुण साह को असम के प्रतिबंधित संगठन संथाल लिबरेशन आर्मी के अपराधियों ने अपहरण कर 30 लाख रुपए फिरौती मांगा था। जवाबी कार्रवाई में बरहेट थाना क्षेत्र के बोडबांध गांव के करीब अपराधियों और पुलिस के बीच मुठभेड़ भी हुई, जिसमें एसआई चंद्राय सोरेन को गोली लगी थी, लेकिन हरीश पाठक को सिर्फ हल्की चोटें आईं थी, वहीं अपराधी भागने में कामयाब रहे थे। इस चर्चित मुठभेड़ के बाद हरीश पाठक के भूमिका पर राज्य भर में सवाल खड़ा किया गया था। हालांकि चंद्राय सोरेन को ईलाज के लिए हेलीकॉप्टर से रांची ले जाया गया था, लेकिन कौमा में जाने के लगभग 2 महीने बाद उनकी मौत हो गई थी।
वहीं व्यवसाई अरुण साह को भी मुठभेड़ के दुसरे दिन ही तीन गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उस वक्त मामला राज्य में चर्चा का विषय बना हुआ था। और हरीश पाठक के भूमिका पर सवाल खड़े किए जा रहे थे।
पत्रकार- सूरज सुधानंद