L19 DESK : सुप्रीम कोर्ट में एक अजीब-ओ-गरीब केस आया। एक प्रार्थी ने ऐसी याचिका कोर्ट में दाखिल की, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करते हुए ये कह दिया कि वह या तो फिर से पढ़े, या फिर अपना सिद्धांत बना डालें। केस दरअसल, कुछ ऐसा है कि एक प्रार्थी ने ऐल्बर्ट आइंस्टाइन की लोकप्रिय इक्वेशन E=MC² को ही चुनौती दे दी। इसके साथ साथ चार्ल्स डार्विन की इवॉल्यूशन थ्योरी को भी लपेटे में ले लिया। जनहित याचिका दाखिल करते हुए प्रार्थी ने दलील दी कि ये सिद्धांत गलत हैं, और इससे हजारों लोगों का नुकसान हुआ है। इसलिये इन सिद्धांतों को शैक्षणिक संस्थानों में नहीं पढ़ाया जाना चाहिये।
ये केस जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की खंडपीठ के सामने आय़ी, जिसके जवाब में अदालत ने याचिकाकर्ता से फिर से शिक्षा लेने या वैकल्पिक सिद्धांत विकसित करने का आग्रह किया है। याचिका पर जोर देते हुए कोर्ट ने कहा कि व्यक्तियों को स्थापित वैज्ञानिक सिद्धांतों को न सीखने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।
वहीं, इस जनहित याचिका से ठीक पहले, वकील राघव अवस्थी एक अन्य याचिका में राष्ट्रीय यातायात प्रबंधन नीति बनाने की मांग करते हुए पेश हुए थे। इस पर जस्टिस कौल का कहना था कि हमें इस तरह की पीआईएल पर जुर्माना लगाना चाहिए। इसके बाद राघव अवस्थी ने याचिका को वापस ले लिया था।