L19 DESK : बिहार की तर्ज पर अब झारखंड के मंत्री भी 15 करोड़ की योजनाओं को स्वीकृत करेंगे। छह सितंबर के कैबिनेट की बैठक में मंत्रियों के पावर बढ़ाने का फैसला लिया गया। योजनाओं को स्वीकृति देने के मामले में सचिवों के अधिकार राज्य सरकार ने घटा दिए हैं। 8 साल बाद सचिवों के अधिकारों में कटौती की गई है। अब ढाई करोड़ तक की योजनाओं की स्वीकृति विभागीय सचिव देंगे। वहीं, मंत्रियों को ढाई करोड़ से 15 करोड़ तक की योजनाओं को स्वीकृत करने का अधिकार मिलेगा। महंगाई बढ़ने और रुपए के अवमूल्यन के कारण सरकार समय-समय पर सचिवों और मंत्रियों की योजना स्वीकृति राशि की सीमा बढ़ाती रही है।
राज्य में पहली बार ऐसा हुआ है कि पूर्व से चली आ रही स्वीकृति की राशि की सीमा घटाई गई है। कैबिनेट से मंजूरी लेने के बाद सरकार ने कार्यपालिका नियमावली में संशोधन के लिए राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन से स्वीकृति मांगी थी। राज्यपाल से 18 सितंबर को मंजूरी दे दी है। अब कैबिनेट सचिवालय अधिसूचना जारी करेगा। छह सितंबर को हुई कैबिनेट की बैठक में राज्य सरकार ने इस प्रस्ताव को मंजूर किया था। सरकार ने इसके लिए कार्यपालिका नियमावली में संशोधन के लिए राज्यपाल के पास प्रस्ताव भेजा था। राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने राज्य सरकार के प्रस्ताव पर अपनी मंजूरी दे दी है।
नई व्यवस्था से अधिकांश योजनाओं की फाइलें अब मंत्रियों के पास जाएंगी। वही स्वीकृत करेंगे। ढाई करोड़ रुपए के दायरे में छोटी योजनाएं ही आती हैं। 15 करोड़ से अधिक और 25 करोड़ तक की योजनाओं पर विभागीय मंत्री की स्वीकृति जरूरी है। इसके बाद इसे राज्य योजना प्राधिकृत समिति के पास भेजा जाता है। समिति की अनुशंसा पर फाइल योजना मंत्री के पास जाती है। इस प्रस्ताव पर फिलहाल कोई फेरबदल नहीं किया गया है। केवल सचिव और विभागीय मंत्री के अधिकार क्षेत्र में ही बदलाव हुआ है।