L19/Dumka : झारखंड की उपराजधानी दुमका में पिछले दिनों पिछड़ा वर्ग के कई जातियों के लोगों ने राज्य में अपने हक अधिकार और आरक्षण को लेकर एक रैली का आयोजन किया था, इसके बाद सभा का आयोजन किया गया था, जिसमें अतिथि के तौर पर पूर्व सांसद और झारखंड आंदोलनकारी सूरज मंडल, पूर्व मंत्री लालचंद महतो और बिहार के बाँका जिला के ढाका मोड़ निवासी पूर्व विधायक संजय यादव पहुंचे थे। संजय यादव वही राजद नेता है जिन पर कई गंभीर आरोप अब तक लग चुका है, ये गोड्डा से राजद के विधायक भी रहे हैं।
गोड्डा झारखंड का एक बहुत ही खास शहर है, इस विधानसभा सीट पर हमेशा से वैश्य समुदाय के सूढी जाति के नेताओं का विधायक सीट पर वर्चस्व रहा है, अभी वर्तमान में अमित मण्डल वहाँ से विधायक रहे हैं,और सूरज मण्डल उसी जाति समूह से आते हैं। बीच में अहीर समाज से आने वाले संजय यादव यहाँ से राजद के सीट पर चुनाव जीते थे, उसके बाद कभी नहीं जीते। दुमका में मामला यह था कि पिछड़ा समुदाय के इस सभा में सभी अतिथियों ने पहले भाषण दे दिया, जिसमें संजय यादव ने सूरज मण्डल को अपना अभिभावक बताते हुए खूब तारीफ किया, कि कैसे ओबीसी आंदोलन के वक्त सूरज मण्डल के देख रेख में हम सभी आंदोलन करते थे।
उसके बाद बारी आया सूरज मण्डल का उसने अपने भाषण में कई दफा एकता और हक अधिकार पर जोर दिया, इसी क्रम में बोलते हुए उन्होंने झारखंड सरकार के नये जिला रोस्टर के आरक्षण वाले नियम पर बोलने लगे, कि कैसे पिछड़ा वर्ग के लोगों के साथ आरक्षण प्रणाली में छेड़छाड़ किया जा रहा है, क्योंकि कांग्रेस और राजद के लोग नहीं चाहते हैं कि झारखंडी लोगों के साथ न्याय हो। यह लोग झारखंड के मुलवासी झारखंडियों के साथ हमेशा अन्याय करते आये हैं। इसी क्रम में वो आगे बोले कि ये लालू यादव ही है जो झारखंड के लोगों को कभी उनका हक अधिकार लेने नहीं देना चाहते, क्योंकि झारखंड और बिहार बंटवारा के पक्ष में लालू यादव हमेशा विरोध में रहे हैं, तो अब भला वो झारखंड के मुलवासी लोगों के साथ क्यों भला होने देना चाहेंगे।
“ये वही लालू यादव थे जो झारखंड आंदोलन के समय कहते थे, कि झारखण्ड का निर्माण मेरे लाश में होगा” और तब हमलोग नारा देते हुए कहते थे, “इंदिरा मरी आवास में, राजीव मरा मद्रास में, संजय मरा आकाश में, लालू मरेगा चास में और झारखंड बनेगा उसके लाश में” इतना बोलने के बाद ही इस पिछड़ा सम्मेलन में उपस्थित कई राजद समर्थक और कार्यकर्ताओं ने हंगामा शुरू कर दिया, और इनका नेतृत्व राजद के झारखंड प्रदेश महासचिव संजय यादव कर रहे थे। फिर क्या था, हंगामा इतना आक्रामक हुआ कि राजद समर्थकों ने सूरज मण्डल से माफ़ी मांगने का दवाब बनाने लगे।
लेकिन सूरज मण्डल ने माफ़ी नहीं मांगा, वो कहने लगे लालू को मुझसे ज्यादा कोई नहीं जानता और मैं माफ़ी नहीं मांगूगा और जब जब झारखंड की अस्मिता की बात आयेगी मैं बार बार यह राजनीतिक टिप्पणी करता रहूँगा। हंगामा शांत नहीं हो रहा था तब सूरज मण्डल ने कहा पिछड़ा समाज की भलाई के लिए मैं इस सभा से चला जाता हूँ ताकि कार्यक्रम अच्छे से सफल हो सके फिर वो बाहर निकल गए। इसके बाद इस पूरे गरम मामले में मसाला लगाने का काम संजय यादव समर्थित कई मीडिया के लोगों ने किया। जो अब बिहार के कई मीडिया संस्थान दिखा रहे हैं।
इस पर झारखंड के एक शिक्षक से बात करने पर कहा गया कि, बिहार में इस मसले पर बन रहे खबर को लेकर दो फायदा है पहला जाति के नाम पर झारखंड में चल रहे अपने हक अधिकार वाले आंदोलन में टूट हो, दूसरा पिछड़ा समुदाय एक होने से पहले टूट जाए, ताकि सभी राजनीतिक पार्टियों की रोटी चलता रहे। इस पूरे घटना क्रम में अंदरखाने से कई बातें सामने आ रही है, विशेषज्ञ कह रहे हैं कि झारखंड में अभी जो मुलवासी समुदाय एक हो रहा है इन्हें फिर से जातियों में तोड़ कर एक होने से रोक दिया जाए ताकि ये लोग एकजुट होकर अपने हक अधिकार की लड़ाई ना लड़ सके।
और इस काम की जिम्मेवारी मूल रूप से बिहार के बांका जिला के रहने वाले संजय यादव को सौंपा गया है, ये यहाँ जाति के आधार पर झारखंड के सभी मुलवासी समुदाय को आपस में लड़वाना चाहते हैं, जिसमें क्यों ना यादव, सढी, तेली, मोयरा, कलवार, कुम्हार, नाई सहित कई जातियाँ हो। संजय यादव और उसके समर्थकों का सिर्फ सूरज मण्डल के इस बयान पर इतना कड़ा प्रतिरोध करना सवाल के घेरे में है, कुछ राजनीतिक के जानकार बताते हैं कि गोड्डा और पौडेयहाट विधानसभा में यादव आबादी बहुत प्रभावशाली है, जहाँ संजय यादव अपना पैठ जमाना चाहते हैं, क्योंकि पौडेयहाट में मुलवासी यादव समाज से आने वाले प्रदीप यादव कई बार से विधायक हैं, वो फिलहाल काँग्रेस से विधायक हैं।
जिस कारण पौडेयहाट के मुलवासी कई जातियों का भावनात्मक समर्थन प्रदीप यादव के साथ है। जिस कारण संजय यादव अब जातीय कार्ड खेल कर मुलवासी यादव समाज का समर्थन पाना चाहते हैं। क्योंकि लालू यादव के साथ पिछड़ा हितैसी होने का भावना झारखंड और बिहार के पिछड़ा वर्ग के साथ जुड़ा हुआ है, खासकर यादव (अहीर) समाज का। वहीं जानकार बताते हैं कि गोड्डा विधानसभा में लगातार कई दफा से हार रहे संजय यादव इस बार खुल कर बनिया बनाम यादव करना चाह रहे हैं।
क्योंकि झारखंड आंदोलनकारी सूरज मण्डल जिस समुदाय से आते हैं ठीक उसी समुदाय से गोड्डा विधायक अमित मण्डल आते हैं, और दोनों भाजपा से संबंध रखते हैं, साथ ही दोनों नेता झारखंड के मुलवासी हैं, और मुलवासी होने कि वजह से मुलवासी यादव समाज का एक बड़ा तबका भी अमित मण्डल को वोट करता रहा है, जिसका नुकसान राजद को हमेशा इस सीट से हुआ है। ऐसे में अगर इस बार संजय यादव मुलवासी यादव समाज को भी लालू यादव के भावना से जोड़ लेते हैं तो इसका फायदा आगामी चुनाव में जरूर देखने को मिलेगा, और यही वजह है कि दुमका में आयोजित पिछड़ा सम्मेलन में सूरज मण्डल के इस टिप्पणी पर बड़ा विवाद खड़ा किया गया है।
जानकार इस विषय पर झारखंड में चल रहे मुलवासी आंदोलन और 1932 खतियान वाले आंदोलन को पिछड़ा समुदाय के साथ जोड़ कर देखते हैं, क्योंकि जानकारों का कहना है कि झारखंड में लगभग 90 फीसद मुलवासी पिछड़ा समुदाय के कई जातियों के लोग हैं, जिन्हें अब तक आपस में एक होने का मौका नहीं दिया है जिस कारण वो अपने राज्य में बंटवारे के बाद भी बदहाल हैं। और अब जब मुलवासी समुदाय की युवा पीढ़ी अपने हक अधिकार के लिए जागरूक हो रही है तो इन्हें आपस में जाति के आधार पर बाहरी नेताओं द्वारा तोड़ने का कोशिश किया जा रहा है।
और यही वजह है कि राज्य के अलग अलग इलाकों में अलग अलग पार्टियों से जुड़े कई बाहरी नेता जो मूल रूप से दूसरे राज्यों से संबंध रखते हैं वो आए दिन विवाद खड़ा कर रहे हैं, चाहे वो स्वास्थ मंत्री बन्ना गुप्ता हो, या फिर संजय यादव, या फिर प्रदीप तिवारी या कैलाश यादव ये सभी नेता भीतरी बनाम बाहरी वाले मुद्दे पर अपने जाति विचार या भाषा को छोड़कर एक साथ आ जाते हैं, और इसके लिए साम, दाम, दंड और भेद सभी चलाया जाता है।
रिपोर्ट- सूरज सुधानंद, दुमका