L19/Dhanbad : धनबाद ही नहीं पूरे झारखंड का नाम आज देश में रोशन किया। धनबाद के एक छोटे से गांव गोपीनाथडीह गांव की मानसी ने अपने कर्म के बदौलत यह उपलब्धि हासिल की। गोपीनाथडीह गांव की मानसी बनर्जी पूरे झारखंड की इकलौती जलसहिया हैं, जिन्हें हर घर नल पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका के लिए विशिष्ट अतिथि के तौर पर स्वतंत्रता दिवस समारोह में न केवल आमंत्रित किया गया, बल्कि उन्हें सम्मान भी मिला।
खुद हैंडपंप पर एक बाल्टी पानी के लिए घंटों इंतजार करती थी: मानसी
केंद्रीय जल मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत समेत अन्य मंत्रियों ने मानसी को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। मानसी के यहां तक की उपलब्धि की कहानी भी बहुत रोचक है। बताया जा रहा है कि मानसी के पति मजदूरी करते हैं। घर में दो बेटियां हैं। गांव में पीने के पानी की हमेशा समस्या रही। खुद हैंडपंप पर एक बाल्टी पानी के लिए घंटों इंतजार करती थी। तब सोचा करती थी, आखिर कैसे गांव के हर घर तक पानी पहुंचे। इस बीच प्रधानमंत्री हर घर नल योजना शुरू हुई। उन्होंने ठान लिया कि वह जलसहिया बनेगी।
बस सोचा करती थी, कैसे सबको पानी मिलेगा
2013 में जल स्वच्छता समिति में बतौर जलसहिया जुड़ी। फिर शुरू की अपनी मेहनत और देखते ही देखते 1244 घरों तक पानी पहुंचा दिया। झारखंड से एकमात्र जलसहिया हैं, जिन्होंने प्रधानमंत्री के साथ लालकिले के प्राचीर से स्वतंत्रता दिवस परेड देखी। उसने बताया कि जब विवाह हुआ और यहां आई तो सार्वजनिक हैंडपंप पर पानी भरने जाना होता था। हमने जलसंकट का जो दर्द झेला, उसे शब्दों में बयान नहीं कर सकते। बस सोचा करती थी, कैसे सबको पानी मिलेगा। जलसहिया के रूप में काम करने का मौका मिला तो परिवारवालों ने एतराज कर दिया। कहा गया- स्त्री होकर बाहर कैसे काम करोगी, मगर हमने जिद ठान ली थी। घर की आर्थिक स्थिति का हवाला दिया, समझाया कि कई परिवारों तक पानी पहुंचाने का पुण्य करने का मौका मिल रहा है। उसे मत छीनो।
बस सोचा करती थी, कैसे सबको पानी मिलेगा
आखिर घरवाले भी मान गए। इस जिद्दी ने अपनी बात मनवाकर ही दम ली। मानसी गोपीनाथडीह पंचायत के चार गांवों में हर घर तक जल पहुंचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस पंचायत के चार गांव गोपीनाथडीह, झंडाबर, धोबनी और लालपुर के 1244 घरों में अन्य जलसहिया साथियों की मदद से नल लगवाया। इन चार गांवों की आबादी 5907 है। मुखिया बिजेंदर पासवान ने भरपूर सहयोग किया। मानसी ने पानी ही नहीं पहुंचाया, स्वच्छता मिशन में भी अहम भूमिका निभाई। अपने गांव में स्वच्छ भारत मिशन के तहत 199 और निर्मल भारत मिशन के तहत 40 शौचालय बनवाए।
जलसहिया के रूप में जब काम शुरू किया तो दिक्कतें आईं
आज गांव में इतने शौचालय हैं कि कोई भी घर के बाहर शौच को नहीं जाता। मानसी कहती हैं कि एक-एक घर को नल से जोड़ने के लिए गर्मी, धूप, बरसात, ठंड की परवाह नहीं की। बस काम किया। कई लोग नल लगवाने मना करते थे, उनको समझाया। उनके घर के अंदर शौचालय भी बनवाया। जलसहिया के रूप में जब काम शुरू किया तो दिक्कतें भी आईं। परिवार की जिम्मेदारी भी संभालती थी। एक साथ दो काम शिद्दत से निभाए। अब तो दोनों बेटियां आलो बनर्जी और आराध्या बनर्जी घर संभाल लेती हैं।