L19 DESK : भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (कैग) की एक रिपोर्ट जारी हुई है जिसमे यह खुलासा हुआ है की आयुष्मान भारत योजना के तहत मरे हुए लोगों का इलाज किया गया। बता दे की साल 2018 में केंद्र सरकार आयुष्मान भारत योजना लेकर आई थी। जिसके तहत आर्थिक रूप से कमजोर लोगों का बेहतर इलाज हो सके।
लेकिन इस आयुष्मान भारत योजना में झारखंड समेत देश के कई राज्यों में गड़बड़ी का मामला सामने आया है और यह खुलासा भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में हुआ है। बता दे की कैग ने जारी अपनी ऑडिट रिपोर्ट में बताया है कि इस योजना के तहत ऐसे मरीज भी लाभ उठा रहे हैं, जिन्हें पहले मृत घोषित किया गया था ओर ऐसा योजना की राशि हड़पने के लिए किया गया है।
आपको बता दे की राज्य में 250 मरे हुए लोगों का इलाज कई अस्पतालाें में किया गया। बता दे की ऑडिट रिपोर्ट में यह बात भी सामने आयी है कि योजना के तहत ऐसे मरीज इलाज करा रहे हैं या करा चुके हैं, जो मर चुके है। बता दे की ट्रांजेक्शन मैनेजमेंट सिस्टम यानी टीएमएस में मृत्यु के मामलों के अकड़ो के अध्ययन में पता चला है कि आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज के दौरान देश में 88,760 पैसेन्ट मर चुके है। और इन पेसेन्ट के संबंध में नये इलाज से जुड़े कुल 2,14,923 क्लेम को सिस्टम में भुगतान के रूप दिखाया गया है।
वही इन क्लेम में शामिल करीब 3,903 मामलों में क्लेम की राशि का भुगतान अस्पतालों को किया गया है। इनमें 3446 मरीजों से संबंधित भुगतान 6.97 करोड़ रुपये का था। और हमारे राज्य झारखंड में ही 323 मामलों में क्लेम का भुगतान किया गया। इनमें 250 मरीजों की मौत दिखायी गयी और बाद में उन मरीजों का इलाज भी किया गया। वही राज्य में 30,37,440 रुपये का भुगतान अस्पतालों को किया गया है।
आपको बता दे की कैग की रिपोर्ट में बोकारो के सात अस्पतालों की जांच की गयी है और इन अस्पतालों में एक दिन में कुल बेड से अधिक मरीजों का इलाज किया गया। वही एक अस्पताल में तो क्षमता से अधिक मरीजों का इलाज किया गया। बोकारो जिला के एडवांस डायग्नोस्टिक सेंटर, महालक्ष्मी नर्सिंग होम व आरएनबी हॉस्पिटल एंड पाल आई रिसर्च सेंटर की स्कैनिंग की गयी और इस रिपोर्ट में इन अस्पतालों की अलग अलग तारीख में बेड की क्षमता व कुल मरीजों के इलाज से जुड़े ब्योरा दिया गया है।
बता दे की एडवांस डायग्नोस्टिक सेंटर में 22 मार्च 2021 को 16 बेड के बदले 24 मरीज, महालक्ष्मी नर्सिंग होम में 19 मार्च 2021 को 15 बेड के बदले 18 मरीज व आरएनबी हॉस्पिटल एंड पाल आई रिसर्च सेंटर में 06 मार्च 2021 को 20 बेड के बदले 38 मरीज का इलाज हुआ। इसके अलावा बीमा कंपनी ने एसएचए को सूचित किया (26 दिसंबर 2019) कि लाइफलाइन नर्सिंग होम गोड्डा ने बिना फेको मशीन के ही 92 मोटियाबिंब का ऑपरेशन किया।
बता दे SHA यानी स्टेट हेल्थ एसोसिएशन ने बीमा कंपनी को अस्पताल द्वारा की गयी सभी प्रक्रियाओं की लाभार्थी ऑडिट रिपोर्ट व अस्पताल को किये गये क्लेम भुगतान का डीटेल जमा करने के लिए मार्च 2020 में कहा था। हालांकि, बीमा कंपनी ने लाभार्थी ऑडिट व क्लेम राशि का डीटेल जमा ही नहीं किया। बड़ी बात यह कि सोशलिस्ट हेल्थ एसोसिएशन ने बीमा कंपनी या अस्पताल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। वही ऑडिट में पाया गया कि टीएमएस डाटा के मुताबिक अस्पताल ने 26 दिसंबर 2019 तक 72 फेको प्रक्रियाएं यानि की जिससे मोटियाबिंब का इलाज किया जाता है और इस प्रक्रिया कीं और 5.98 लाख रुपया का भुगतान किया गया।
आपको बता दे की कैग की रिपोर्ट में सिर्फ मृत व्यक्ति का ही इलाज करने की बात सामने नहीं आयी है, बल्कि एक ही आदमी का एक ही समय दो-दो अस्पतालों में इलाज कराने की बात भी सामने आयी है। झारखंड में ऐसे 1942 मामले सामने आये हैं। इनमें 1325 मरीजों का इलाज एक समय में कई अस्पतालों में हुआ। बता दे की 652 पुरुष और 673 महिला का इलाज इस तरीके से किया गया।
इन मामलों में राज्य के 148 अस्पताल शामिल हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि इस तरह के क्लेम का भुगतान राज्य स्वास्थ्य एजेंसियों यानी एसएचए से बिना जांच कराये किया गया। ये केस उन मामलों में भी सामने आये हैं, जहां एक बच्चे का जन्म एक अस्पताल में होता है, लेकिन उसकी मां की पीएमजेएवाई आइडी का उपयोग कर दूसरे अस्पताल में नवजात देखभाल के लिए ट्रांसफर कर दिया गया है।