L19 DESK : कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व सांसद राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाल कर दी गयी है। लोकसभा सचिवालय की तरफ से अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। शुक्रवार 4 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरनेम पर टिप्पणी करने मामले में राहुल गांधी को गुजरात के एक कोर्ट से मिली दो साल की सजा पर रोक लगा दी थी। इसके बाद राहुल गांधी के संसद में वापसी का रास्ता साफ हो गया था। वर्ष 2019 में राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव में केरल के वायनाड से चुनाव जीता था।
मोदी सरनेम मानहानि केस में गुजरात की एक निचली अदालत ने मार्च 2023 को दो साल की सजा सुनाई थी। 134 दिन बाद इसी केस में सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की सजा पर रोक लगा दी। इधर, राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाल होने के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे ने कहा कि राहुल गांधी की सदस्यता बहाल करने का यह फैसला स्वागत योग्य कदम है। यह देश के लोगों के साथ वायनाड के लोगों के लिए बेहद राहत वाली खबर है। उन्होंने कहा कि बीजेपी और मोदी सरकार को अपने कार्यकाल में जितना भी समय बचा है इसका इस्तेमाल विपक्षी नेताओं को निशाना बनाकर लोकतंत्र को बदनाम करने के बजाय वास्तविक शासन पर ध्यान केंद्रित करके करने की आवश्यकता है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने साल 2019 के 13 अप्रैल को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी सभा में कहा था कि हीरा कारोबारी नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी का सरनेम कॉमन क्यों है? सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है?” इसी बयान को लेकर बीजेपी विधायक और पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ धारा 499 और 500 के तहत आपराधिक मानहानि का केस दर्ज कराया था। अपनी शिकायत में उन्होंने राहुल गांधी पर आरोप लगाया था कि राहुल गांधी ने चुनावी रैली के दौरान अपने संबोधन में पूरे मोदी समुदाय को कथिर तौर पर यह कहकर अपमान करने का काम किया कि सभी चोरों का सरनेम मोदी ही क्यों होता है।
मोदी सरनेम मानहानि केस में करीब चार साल बाद 23 मार्च को गुजरात के सूरत की निचली अदालत ने सजा सुनाई थी। इसके बाद लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द कर दी थी। लोक प्रतिनिधत्व कानून 1951 में यह प्रावधान है कि अगर किसी सांसद और विधायक को किसी भी मामले में 2 साल या उससे अधिक की सजा सुनाई जाती है तो उनकी सदस्यता (संसद और विधानसभा से) रद्द की जाती है। इसके साथ ही 2 साल की अवधि पूरी करने के बाद करीब 6 साल तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य भी हो जाते हैं।