L19 DESK : झारखंड विधानसभा मानसून सत्र में मंत्रियों और विधायकों का वेतन बढ़ना निश्चित। सूत्रों के माने तो इस सत्र में मंत्रियों और विधायकों की वेतन बढ़ोत्तरी से संबंधित प्रस्ताव सदन में लाया जा सकता है। संभावना जताया जा रहा है की इस विषय पर पक्ष और विपक्ष एकमत होंगे और यह प्रस्ताव सबकी सहमति से पारित हो जाए। वही कुछ विधायकों का कहना है कि पूर्वर्ती सरकार में अंतिम बार 2015 में विधायकों का वेतन बढ़ा था। इस साल मार्च में बजट सत्र के दौरान विधायकों का वेतन बढ़ाने का प्रस्ताव लाया गया था, लेकिन तब सरकार की ओर से इस विषय पर स्पष्ट उत्तर नहीं आया था।
बता दे की इस साल बजट सत्र के दौरान विपक्षी दल के भाजपा विधायक भानू प्रताप शाही ने सदन में विधायकों की वेतन बढ़ोत्तरी की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि दिल्ली के तर्ज पर राज्य में भी विधायकों का वेतन बढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने महंगाई बढ़ने के कारण समय की मांग को आधार पर बनाकर विधायकों का वेतन बढ़ाने की मांग की थी। उनकी इस मांग पर पक्ष और विपक्ष के सदस्य सहमत दिखे। हालांकि सरकार की ओर से इस विषय में कोई स्पष्ट उत्तर नहीं आया। इस कारण तब इस पर फैसला नहीं हो सका।
बाद में भाजपा के वरिष्ठ विधायक रामचंद्र चंद्रवंशी की अध्यक्षता में विधानसभा की एक समिति का गठन किया गया। सूत्रों के अनुसार समिति ने अपनी रिपोर्ट विधानसभा को सौंप दी है, जिसमें विधायकों का वेतन 40 हजार से बढ़ाकर 55 से 60 हजार रुपये प्रतिमाह करने की अनुशंसा की गई है। बता दे की राज्य में विधायकों का वेतन करीब 40 हजार रुपये प्रतिमाह है। इसके अतिरिक्त अन्य भत्ते देय हैं।
रघुवर सरकार के समय 2015 में विधायकों के वेतन में बढ़ोतरी हुई थी। मुख्यमंत्री की बेसिक सैलरी 70 हजार से बढ़ाकर 80 हजार रुपये और विधायकों का मूल वेतन 30 हजार से बढ़ाकर 40 हजार रुपये किया गया था। विपक्ष के नेता का बेसिक वेतन 50 हजार प्रतिमाह से बढ़ाकर 65 हजार कर दिया गया था व विस अध्यक्ष का मूल वेतन 55 हजार से बढ़ाकर 78 हजार रुपये किया गया था। मुख्य सचेतक का वेतन 2017 में बढ़ोतरी के बाद 55 हजार किया गया। इसी तरह उप मुख्य सचेतक को 50 हजार और सचेतक को 45 हजार रुपये वेतन दिया जाता है।