L19/Sahibganj : साहेबगंज जिला के पतना थाना क्षेत्र के गुम्मा पहाड़ की रहने वाली आदिम जनजाति पहाड़िया समुदाय की एक बच्ची के मौत का जाँच पड़ताल करने के लिए शुक्रवार के दिन दफनाए गए कब्र से चार दिन बाद शव को निकाला गया। बच्ची लब्दा मिशन स्कूल में पढ़ाई करती थी। शव को कब्र से निकाले जाने के बाद पहले सदर अस्पताल लाया गया, फिर दुमका मेडिकल कालेज फॉरेंसिक जाँच के लिए भेजा गया है।
मजिस्ट्रेट के रूप में पतना बीडीओ सुमन सौरभ सुबह करीब साढ़े पांच बजे बरहड़वा इंस्पेक्टर कुलदीप कुमार, रांगा, बरहेट, बरहड़वा और कोटालपोखर के थाना प्रभारी उक्त बच्ची के गाँव पहुँचे। शव निकालने से पहले विधि विधान से प्रार्थना हुई। फिर करीब 7 बजे शव निकालने की प्रक्रिया शुरू हुई, जिसमें करीब घंटे भर का समय लगा। बता दें कि रात भर गांव में पुलिस तैनात थी। जानकारी के अनुसार 24 जुलाई के दिन बच्ची के शव को दफनाया गया था। लेकिन सूचना के आधार पर जाँच करने पर मिला कि आधार कार्ड के अनुसार बच्ची की उम्र महज 12 साल थी और वह दूसरी कक्षा में पढ़ती थी।
गौरतलब है कि 23 जुलाई की सुबह पाकुड़ जिले के लब्दा मिशन स्कूल की तीन नाबालिग पहाड़िया बच्चियों को बरहेट के चंद्रगौड़ा मिशन अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इनमें से एक बच्ची की मौत हो गई थी, और बाकी दोनों बच्चियों का इलाज चल रहा है। 26 जुलाई को यह मामला लोगों के बीच आया, जिसके बाद मामले की जांच पड़ताल शुरू हुई। अस्पताल प्रबंधन ने मौत का जो कारण बताया उसमें विरोधाभास था। इसके बाद शक गहराने के बाद मौत के कारणों की सत्यता का पता लगाने के लिए शव को कब्र से निकलवाया गया है। इ
ससे पूर्व मामले की जांच के लिए उपायुक्त रामनिवास यादव के निर्देश पर सिविल सर्जन डा. रामदेव पासवान ने बरहेट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा. हेमंत मुर्मू के नेतृत्व में महिला चिकित्सक डा. पूनम कुमारी, डा. पंकज कर्मकार व मीना देवी की टीम गठित की जिसने गुरुवार को प्रेम ज्योति कम्युनिटी सेंटर चंद्रगोड़ा पहुंचकर पूरे मामले का जांच किया गया था। इसके बाद सीएस डा. रामदेव पासवान द्वारा खुद से अस्पताल का छानबीन किया गया था। तीनों बच्चियों के मौत का कारण सवाल खड़ा करता है, क्योंकि बच्ची के पिता ने बताया कि स्कूल प्रबंधन ने उन्हें बेटी के बीमार होने की बात कही थी, इसके बाद वे अस्पताल गए लेकिन वहां बताया गया कि बच्ची का इलाज चल रहा है और उसके कुछ देर बाद ही बताया गया कि उसकी मौत हो गई है। बाद में शव को निजी वाहन से उसके घर तक पहुंचा दिया गया था, जिसके बाद परिजनों द्वारा बच्ची का पहाड़िया विधि विधान से अंतिम संस्कार कर दिया गया था।
बता दें कि इस मौत मामले में स्कूल प्रबंधन व चिकित्सक ने अब तक मौत का कारण नहीं बताया है। और जब इस मामले में पुलिस को कुछ गड़बड़ लगा तब मामला तूल पकड़ा, लेकिन पहले तो पुलिस स्वजनों ने विधि संस्कार की बात कहकर शव को कब्र से बाहर निकालने से इंकार किया। लेकिन पदाधिकारियों के समझाने के बाद स्वजन शव निकालने काे तैयार हो गए। लेकिन रात और गांव से दूर पहाड़ पर शव दफनाए जाने की वजह से शुक्रवार की सुबह उसे निकालने का निर्णय लिया गया। इस मामले में स्कूल पाकुड़ जिला में होने के कारण पाकुड़ एसडीपीओ अजित कुमार विमल ने चंद्रगोड़ा अस्पताल पहुंचकर बच्चियों से कई मामलों पर जानकारी इकट्ठा किया है, और अब साहेबगंज और पाकुड़ के पुलिस अधिकारी हर बिंदु पर जांच कर रहे हैं।
पत्रकार : सूरज सुधानंद