L19/Ranchi : झारखंड सरकार द्वारा राजभवन को भेजे गये प्रस्तावित बिल में त्रुटियों का हवाला देते हुए लौटाये जाने के बाद सरकार ने तीनों बिल को राजभवन को ही वापस लौटा दिया है। इनमें 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति बिल, मॉब लिंचिंग बिल, और सरकारी नौकरियों में आरक्षण बढ़ाने से संबंधित बिल शामिल हैं। सरकार ने इन तीनों विधेयकों को फिर से पेश करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 200 व झारखंड विधानसभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन के नियम 98(1) के तहत राज्यपाल के संदेश के साथ सरकार एवं विधानसभा को उपलब्ध कराने का अनुरोध राजभवन सचिवालय से किया है।
इसे लेकर सरकार ने कहा है कि बिल विधानसभा से पारित होने के बाद विधानसभा सचिवालय ने राजभवन को भेजा था, इसलिये राजभवन को भी गलती या मेमोरेंडम विधानसभा को ही भेजा जाना चाहिये। यह पहली दफा है जब राजभवन से लौटाये गये बिल को सरकार द्वारा वापस राजभवन को ही भेज दिया गया हो।
इस संबंध में सरकार ने गुरुवार को एक विज्ञप्ति जारी कर जानकारी दी कि ओबीसी के लिये सरकारी नौकरियों में आरक्षण की सीमा 27% करने से संबंधित बिल सहित इन तीनों विधेयकों की सरकार फिर से विधानसभा के सामने पेश करेगी। इसके लिये राज्यपाल सचिवालय से लौटाये गये बिलों से जुड़े राज्यपाल का संदेश उपलब्ध कराने का आग्रह किया गया है।
आपको बता दें, विधानसभा से पारित किसी भी बिल पर राज्यपाल की सहमति लेनी होती है। इसके लिए सरकार राजभवन सचिवालय को बिल भेजती है। इस पर राज्यपाल की सहमति या असहमति पर राज्यपाल की ओर से बिल को लेकर एक संदेश अटैच रहता है। मगर वापस किए गए तीनों बिलों में राजभवन सचिवालय का संदेश अटैच नहीं किया गया है। इन विधेयकों को विधिवत पुनः विधानसभा में लाने के लिए सरकार ने राजभवन सचिवालय से संबंधित संदेश को उपलब्ध कराने का आग्रह किया है।
गौरतलब है, 1932 के खतियान संबंधित स्थानीयता बिल को तत्कालीन राज्यपाल रमेश बैस ने 29 जनवरी 2023 को लौटा दिया था। राजभवन की ओर से कहा गया था कि विशेष प्रावधान के तहत नियोजन में शर्तें लगाने की शक्तियां संसद के पास हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के निर्णयों का भी उल्लेख कर बिल की वैधानिकता पर सवाल उठाते हुए इसे पुनर्समीक्षा के लिए वापस किया था। वहीं, सूत्रों के अनुसार राजभवन ने अटॉर्नी जनरल से विधिक राय लेने के बाद जनवरी में विधिक समीक्षा करने का निर्देश देते हुए आरक्षण बिल लौटा दिया था। साथ ही भीड़ हिंसा और मॉब लिंचिंग निवारण बिल, 2021 को राजभवन ने दो अलग-अलग कारण बताकर सरकार को लौटा दिया था।
क्या होती है आगे की प्रक्रिया?
1. राजभवन ने विधेयकों के जिन बिंदुओं पर कारण पृच्छा किया है, उसपर सरकार विधिसम्मत निराकरण राजभवन भेजना होगा। राजभवन यदि संतुष्ट हो जाये तो आगे निर्णय लेगा।
2. विधेयकों में कोई भाषाई अशुद्धियां, शब्दों के हेरफेर जैसी त्रुटियां दूर करने के अलावा यदि कोई विधिसम्मत बिंदु जोड़े गये हों, तब विधेयकों को दोबारा सदन में पेश करना अनिवार्य होगा। ऐसे में राजभवन की सहमति और संदेश जरूरी होगा।
3. राजभवन हर परिस्थिति में संशोधित या, व्याकरणीय, शाब्दिक त्रुटियां दूर किये गये विधेयकों पर विधिक राय लेकर निर्णय लेने को स्वतंत्र होगा। संशोधित विधेयकों को विधानसभा में दोबारा पेश करने के लिए राजभवन का संदेश जरूरी होगा।