भूरा बाल साफ करो’ यानी (भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण, लाला) को साफ करो’ का नारा लालू यादव ने 90 के दशक में दिया था. इस नारे के जरिए उच्च और सवर्ण जातियों के बहिष्कार की बात कही गयी थी. लालू का यह नारा, हेमंत 2.0 के नए मंत्रिमंडल विस्तार के बाद एक बार फिर से चर्चा में है. चर्चा इसलिए शुरू हुई है क्योंकि हेमंत के नए मंत्रिमंडल में एक भी सवर्ण जाति के विधायक को शामिल नहीं किया गया है.
झारखंड विधानसभा चुनाव-2024 में इंडी गठबंधन, रिकॉर्ड सीट अपने नाम करते हुए, दोबारा सत्ता पर काबिज हुई. झारखंड की जनता ने इंडी गठबंधन को कुल 56 सीटों पर जीत दिलाई और राज्य में एक मजबूत सरकार बनाने का काम की. राज्य के मुखिया के तौर पर हेमंत सोरेन ने ऐतिहासिक मोरहाबादी मैदान में बीते 28 नवंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और फिर हफ्ते बाद पूरे मंत्रिमंडल का विस्तार हो गया. 5 दिसंबर, 2024 को राजभवन में गठबंधन के 11 विधायकों को मंत्री पद की शपथ राज्यपाल द्वारा दिलाई गई. लेकिन जैसे ही मंत्रियों की सूची सामने आई और देखा गया कि इस लिस्ट में एक भी सवर्ण विधायक को मौका नहीं दिया गया है.
हालांकि, यहां एक बात और साफ करना बेहद जरूरी हो जाता है कि महागामा से काग्रेंस के टिकट पर विधायक बनी दीपिका पाण्डेय सिंह को मंत्रिमंडल में शामिल किया है. दीपिका खुद ब्राह्मण समाज से आती हैं, लेकिन उनके पति कुड़मी समाज से हैं. इसलिए उन्हें ओबीसी में ही गिना जा रहा है. प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी गुलाम अहमद मीर ने भी मीडिया से बात हुए यह साफ कर दिया है कि दीपिका को ओबीसी और महिला क्षेणी में जगह मिली है. इसके बाद से ही पूरे सोशल मीडिया में सरकार पर सवर्णों के अनदेखी की बात सामने आने लगी.
वहीं, विपक्ष भी, सरकार पर सवर्ण जातियों के अनदेखी की बात कर रही है तो सरकार जातीय समीकरण को देखते हुए मंत्रियों के चयन की बात कर रही है. अंत में हेमंत सरकार के नए मंत्रिमंडल को देखने के बाद हम इतना ही कह सकते हैं कि भले ही आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने बिहार में ‘भूराबाल’ साफ करो का नारा दिया था, पर सवर्णों को उन्होंने ऐसी उपेक्षा नहीं की, जितनी बिना शोर मचाए हेमंत सोरेन ने कर दी है.