L19/DESK : बीते दो दशक से बेरोजगारी भारत की सबसे बड़ी समस्या के रूप में उभर सामने आया है। देश में कोरोना महामारी के बाद जिस तेज़ी से बेरोगारी की दर बढ़ी है वह बहुत ही गंभीर है। एक रिपोर्ट में बताया गया कि देश में बेरोजगारी की दर दिसंबर, 2022 में बढ़कर 8.3 प्रतिशत के उच्च स्तर पर पहुंच गई है, यह आंकड़ा 2022 में बेरोजगारी दर का सबसे ऊंचा आंकड़ा है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी (सीएमआईई) के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। आंकड़ों के मुताबिक, नवंबर में बेरोजगारी की दर आठ प्रतिशत थी, जबकि सितंबर में यह सबसे कम 6.43 प्रतिशत थी, वहीं अगस्त में यह 8.28 प्रतिशत पर थी, जो इस साल का दूसरा सबसे ऊंचा आंकड़ा है।
झारखण्ड में बढ़ती आबादी के बीच युवाओं को रोजगार ना मिलना घातक सिद्ध हो रहा है
बेरोजगारी की आंकड़ों की नजर में झारखंड के लिए अच्छी खबर नहीं है ,राज्य की 2011 के जनगणना के अनुसार जनसंख्या 3 करोड़ 29 लाख के पार थी, जो अब 2023 तक 4 करोड़ के पार होने कई सम्भावना है. झारखण्ड की 70 % जनसंख्या 35 साल के आसपास की है। इस आंकड़ा को देखने पर ही यह समझ में आ जाता हैं कि राज्य में बेरोजगारी दर कितनी है? 2016 के बाद झाखंड में बेरोजगारी दर में काफी तेज़ी से इजाफा देखने को मिला है, जो 2022 तक 17.13 फीसदी पर पहुंच गया है,यह दर देश के 8% से ऊपर बेरोजगारी दर से काफी ज्यादा है। पूरे देश में बेरोजगारी मामले में झारखंड तीसरे स्थान पर है यानी देश में तीसरी सबसे बड़ी बेरोजगारों की फौज झारखंड में ही है। इस आंकड़े को श्रम, नियोजन और प्रशिक्षण विभाग ने भी स्वीकारा है। राज्य में 2016 के बाद से बार बार नियोजन नीति का रद्द होना और समय पर वैकंसी ना निकलना बेरोजगारी का सबसे बड़ा कारण बनता जा रहा है।बेरोजगारी के इस आंकड़े को देखने के लिए सरकारी नौकरी का भीड़ ही काफी है जिसमे 1000 सीट की वैकंसी जब निकलती है तो 8 से 10 लाख लोग फॉर्म भरते हैं.इससे स्पष्ट हो जाता है कि राजर में बेरोजगारी एक महामारी का रूप लेता जा रहा है।
इधर 2020-21 में आई कोरोना महामारी के कारण भी झारखंड में पिछले दो साल से नियुक्तियों में कमी आई है। बावजूद इसके हेमंत सोरेन सरकार का दावा है कि नियोजनालयों में रजिस्टर शिक्षित बेरोजगारों को निजी क्षेत्र के प्रतिष्ठानों में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से रोजगार मेला और भर्ती कैंप का आयोजन समय पर किया जाता है। जिसके माध्यम से वित्तीय वर्ष 2019-20 में 13667, साल 2020-21 में 2504 और 2021-22 में 2119 यानी तीन साल में 18290 रजिस्टर बेरोजगार युवकों को नौकरी उपलब्ध कराई गई है। यह आंकड़ा सिर्फ दिखने में अच्छा दीखता है परन्तु हक़ीकत कुछ और ही हैं। झारखण्ड में अभी रजिस्टर बेरोजगार युवाओं की संख्या करीब 4 से 5 लाख है, जिसमें गैर तकनीक या सामान्य शिक्षा प्राप्त बेरोजगारों की संख्या ज्यादा है। वहीं झारखंड सरकार की ओर से जारी एक रिपोर्ट के अनुसार ही राज्य के विभिन्न विभागों में 5 लाख 35 हजार 737 स्वीकृत पद हैं,जिसमें से सिर्फ 1 लाख 83 हजार 16 पद पर लोग काम कर रहे हैं। इस तरह से 3 लाख 50 हजार 721 पद खाली पड़ा हुआ है।यह आंकड़ा सरकारी है जिसमे पूर्ण रूप से सर्वे नही हुआ है, यदि सटीक और प्रमाणित रूप से आंकड़ो कई बात करें तो यह आंकड़ा काफी ज्यादा होगी।
बढ़ती बेरोजगारी के कारण दुसरे राज्यों में युवाओ का पलायन जारी
बेरोजगारी में बढ़ोतरी के कारण राज्य से देश के विभिन्न राज्यों जैसे हरियाणा, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक और महानगरों, दिल्ली, मुंबई और कोलकाता में बेरोजगार युवाओं और श्रमिकों का पालयन होता है। राज्य सरकार की ओर से प्रवासी श्रमिकों के लिए नियंत्रण कक्ष भी स्थापित किए और हेल्पलाइन की व्यवस्था की गई है। प्रवासी श्रमिकों के दुर्घटना या प्राकृतिक आपदा में मौत होने पर दूसरे राज्य से उन्हें पैतृक आवास तक पहुंचाने का संपूर्ण व्यय अंतर्राज्यीय प्रवासी मजदूर सर्वेक्षण और पुनर्वास योजना की व्यवस्था की गयी है। आज पलायन की समस्या ने देश में एक विमर्श का मुद्दा खड़ा किया है। रोज न्यूज़ चैनलों और अखबारों में इन मुद्दों पर बहस होती है इसके समाधान पर सरकार करोड़ों खर्च कर रही है परन्तु परिणाम शून्य है।
Nice 🙂👍
आपके लेख, विचार, समझ को सैल्यूट 🫡 है sir जी।
आपने jharkhand और यहां के लोगों की स्थिति के बारे में बहुत ही अच्छी जानकारी अपने लेखनी के माध्यम से दी है।
हमे आपसे उम्मीद है कि आप ऐसे ही और अच्छे अच्छे सोच, विकास, मुद्दों पर और टिप्पणी लेकर आएं, और अपने जीवन में ऐसे ही तरक्की करते रहें।।
धन्यवाद sir 🙏🙏🙏🙏
जी बिलकुल दादा
सही मुद्दे पर आपने बात रखी।इसे विभाग के हिसाब से रखेंगे तो और बेहतर होगा।
जरूर सर अगली बार से ध्यान रखूँगा