L19/Ranchi: जमीन बिचौलिये से लेकर नामकुम अंचल के कर्मी, अधिकारी तक शामिल, अनुसूचित जाति के रैयतों की जमीन का कर दिया गलत दस्तावेज तैयार। राजधानी रांची के नामकुम अंचल में फर्जी दस्तावेज के आधार पर 60 करोड़ से अधिक का जमीन घोटाला कर दिया गया है। यह घोटाला नामकुम अंचल के कर्मी, अधिकारी और जमीन बिचौलियों ने मिलभगत कर किया है। इस घटना की शिकायत प्रवर्तन निदेशालय में की गयी है। मामला निचली अदालत से लेकर हाईकोर्ट में अब भी विचाराधीन है। जानकारी के अनुसार इस घोटाले के साजिशकर्ता शशिभूषण सिंह हैं, जो कि पहले नामकुम अंचल में हल्का कर्मचारी थे। अब हजारीबाग के चुरचू में अंचल अधिकारी (प्रभारी) हैं और कटकमदाग अंचल के प्रभार में हैं। इन्होंने 2011 से लेकर 2015 तक के अपने कार्यकाल में नामकुम अंचल में रहते हुए कई गड़बड़ियां की हैं। इसी दौरान पंजी-2(अनलाइन ) में मूल रैयत का नाम हटा कर दूसरे को रैयत बना दिया फिर दस्तावेज में छेड़-छाड़ करते हुए 6.15 एकड़ जमीन खरीद बिक्री करा दिया। इतना ही नहीं इन्होंने अपने हस्तलेखन कला से खाता संख्या 192 की 6.15 एकड़ जमीन का गलत निर्धारण कर दिया। जिसमें 60 करोड़ से अधिक की कमाई एक सौ से अधिक लोगों को जमीन बेच कर की गयी। इसमें नामकुम अंचल के तत्कालीन हल्का कर्मचारी रवींद्र प्रसाद की भूमिका, तत्कालीन अंचल निरीक्षक और अंचल अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है। रैयतों ने इडी को दिये आवेदन में पंजी-2 में की गयी छेड़छाड़ के बात को फोरेंसिक जांच कराने की मांग भी की है, ताकि लिखावट के आधार पर आरोपियों को पकड़ा जा सके। इसके लिए पंजी-2 के पृष्ठ में गलत तरीके से लगान निर्धारण मुकदमा नंबर-977 ऑफ 78 व उप समाहर्ता भू.सू. रांची लिख दिया। डुंगरी मौजा की यह जमीन जो मूल रूप से अनुसूचित जाति संवर्ग की थी, उसकी जगह पर लाल भानू नाथ शाहदेव, लाल रंधीर नाथ शाहदेव, लाल हरिहर नाथ शाहदेव और अन्य लिख दिया। जिनके पिता का नाम स्वर्गीय हलधर नाथ शाहदेव अंकित कर दिया, पंजी-2 के सभी पन्नों नें 64-65, 66-67 अंकित है, जबकि 192 नंबर खाता में 77 -78 अंकित किया गया है। इसके बाद का खाता फिर से 66-65 और 66-67 से शुरू हुआ है। साजिशकर्ता ने तुपुदाना के रहनेवाले पप्पू लाल शाहदेव और अन्य को फरजी तरीके से खड़ा कर नायक समुदाय के लोगों की जमीन गलत तरीके से रजिस्ट्री कर फेक कागजातों आधार पर की। इसके लिए उसने न सिर्फ पंजी-2 में छेड़छाड़ किया बल्कि जमाबंदी से लेकर लगान तक का निर्धारण खुद लिप्त अधिकारी ने किया। इसके बाद से अब तक इस जमीन की प्लाटिंग कर 102 से अधिक लोगों को फर्जी कागजात के आधार पर जमीन बेचे दिए गये, जिसकी जांच होनी बहुत जरूरी है। शशिभूषण सिंह के बारे में सूत्रों के अनुशार यह कहा जाता है, कि इसने रांची में एक हजार एकड़ से अधिक की जमीन को गलत बंदोबस्ती कर खूब रुपया कमाया है। सेना की भूमि में भी अवैध खरीद-बिक्री के मामले में शामिल हैं, बड़गाई मौजा के हल्का कर्मचारी भानू प्रताप अपना गुरू शशि भूषण सिंह को ही मानते है, भानू प्रताप ने अवैध आवेदन देकर अपने को बेगुनाह साबित करने की कोशिश की थी। जिस तरह भानू प्रताप के घर से निबंधन कार्यालय के कई स्टांप और अन्य दस्तावेज मिले थे, उससे अधिक के दस्तावेज शशिभूषण सिंह तथा उसके सिपहसलारों के यहां मिलेगी। इस गैंग में आशीष अरोड़ा, पप्पू लाल शाहदेव समेत अन्य शामिल हैं।