L19 DESK : सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ की ओर से बुधवार को भी समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग की याचिकाओं पर सुनवाई बरकरार रही। दूसरे दिन केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में नया एफिडेविट दायर कर समलैंगिक विवाह पर राज्य सरकारों से राय की मांग की है। दायर हलफनामे में कहा गया है कि विवाह एक ऐसा मामला है, जो विधायिका के परिधि में आता है। इस बाबत विवाह को लेकर फैसले राज्यों की सलाह के आधार पर होने चाहिए। इस विषय पर कानून बनाने से राज्यों के अधिकारों में हस्तक्षेप करने जैसा होगा, इसलिए राज्य सरकारों की राय आवश्यक है।
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जेनरल तुषार मेहता ने चीफ जस्टिस से कहा कि केंद्र ने ऑन रिकॉर्ड दस्तावेज दिया है। सरकार ने सभी राज्यों व यूनियन टेरिटरिज़ के चीफ सेक्रेटरी को इस मामले पर पत्र लिखकर उनकी राय मांगी है। इस पर चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचुड़ ने कहा एक्सिलेंट, इसका मतलब राज्यों की जानकारी है गयी है।
अब इस मामले को लेकर केंद्र सरकार के लीगल अफेयर्स के विभाग ने सभी राज्यों के सरकार को इसकी जानकारी दे दी है और कहा है कि यदि राज्यों को नोटिस नहीं भी मिला हो, तो भी वे समलैंगिक विवाहों पर अपनी राय ज़रूर दें। इसके लिए केंद्र की ओर से राज्यों को 10 दिनों का समय दिया गया है।