L19/JAMSHEDPUR : आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने 1932 खतियान पर एक प्रेस वार्ता की, जिसके माध्यम से कहा कि झारखंड की राजनीति में झूठ और भ्रामक प्रचार को रोकना जनहित में जरूरी है। फिलहाल जेएमएम, लोबिन हेंब्रम, जयराम महतो और देवेंद्र महतो (छात्र नेता) आदि 1932 के खतियान आधारित स्थानीयता नीति का झुनझुना बजाकर चुनावी स्वार्थ के लिए जनता के साथ धोखेबाजी कर रहे हैं। जैसा कि सभी को मालूम है झारखंड हाई कोर्ट ने इसे 27 नवंबर 2002 को खारिज कर दिया है। तब जब तक माननीय सुप्रीम कोर्ट में इसको पुनर्स्थापित नहीं किया जाएगा यह कभी भी लागू नहीं हो सकता है। नौवीं अनुसूची भी माननीय सुप्रीम कोर्ट के पुनरीक्षण के दायरे से बाहर नहीं है। अतः झूठ का बाजार गर्म करने वालों को पहले मान्य सुप्रीम कोर्ट में अपनी बहादुरी प्रमाणित करना होगा अन्यथा यह झूठ और भ्रामक प्रचार बंदकर प्रखंडवार नियोजन नीति को लागू करने के वैकल्पिक प्रस्ताव पर विचार करना चाहिए।
अबुवा दिशोम अबुवा राज को विफल करने हेतु हेमंत सरकार ने एकमात्र राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त संताली- आदिवासी भाषा को झारखंड की प्रथम राजभाषा बनाने के बदले आदिवासी जन को लिपि (ओल चिकी बनाम देवनागरी ) के झगड़े में झोंकने का षड्यंत्र चालू कर दिया है। सेंगेल की मांग है हेमंत सरकार संविधान के अनुच्छेद 345 के तहत अविलंब संताली भाषा को झारखंड की प्रथम राजभाषा का दर्जा दें अन्यथा गद्दी छोडें।