L19 DESK : झारखंड कैडर के आइएएस अधिकारी छवि रंजन अपने कैरियर के 12 वर्षों में ही विवादित बन गये। इनका एक स्टैंड था कि ये अपने वरीय अधिकारियों की बातें नहीं सुनते थे। कैरियर की शुरुआत से ही विवादों में रहने का शगल इनमें था। जब कोडरमा में डीसी थे, तो सरकारी बंगले से छह पेड़ कटवा डाले, यह मामला अभी भी विचाराधीन है।
जमीन की अवैध खरीद-बिक्री से इनका पुराना नाता रहा है। कोडरमा में इनके खिलाफ एक प्राथमिकी मरकच्चो पुलिस थाने में दर्ज है। मामला एसीबी में चल रहा है। इन्हें कोडरमा से राज्य में हेमंत सोरेन की सरकार बनने पर रांची लाया गया। इसके बाद इनका नाम मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नाम से रांची के अनगड़ा में स्टोन माइंस आवंटित करने में उछला।
इसको लेकर शिव शंकर शर्मा की तरफ से झारखंड हाईकोर्ट में एक रिट याचिका भी दायर की गयी थी। रिट याचिका में सरकार की तरफ से हलफनामा दायर करने के बाद झारखंड हाईकोर्ट ने टिप्पणी की थी कि कैसे एक चार्जशीटेड व्यक्ति धारा 13(1) (डी) के तहत जवाब दाखिल कर सकता है। तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन की यह टिप्पणी थी। उन्होंने यहां तक कह दिया था कि उपायुक्त छवि रंजन कोर्ट में सरकार की तरफ से किसी भी तरह का जवाब देने के लिए सक्षम नहीं हैं।
कोर्ट ने सरकार को भी फटकार लगाते हुए कहा था कि आप किसी चार्जशीटेड व्यक्ति को सचिव बना दिजिए, एंटी करप्शन ब्यूरो का भी सचिव बना दिजिए, पर सरकार की तरफ से न्यायालय में दाखिल होनेवाले एफिडेविट के लिए अधिकृत न करें। जानकारी के अनुसार फरजी दस्तावेजों के आधार पर राजधानी के प्राइम लोकेशन की जमीन की खरीद बिक्री में उपायुक्त छवि रंजन शामिल रहे हैं।
आइएएस छवि रंजन पर हेहल अंचल में 7.16 एकड़ जमीन की बंदोबस्ती गलत तरीके से करवाने का आरोप है। प्रमंडलीय आयुक्त ने रांची की उपायुक्त की हैसियत से जारी किये गये आदेश को बदलने का निर्देश दिया था। यह जमीन नारायण साहू के परिवार की है, जो एक राष्ट्रीय स्तर के पूर्व एथलीट रह चुके हैं। चान्हो के शिलागांई के रहनेवाले विनोद कुमार कुमार सिंह ने नारायण साहू की जमीन को गलत तरीके से म्यूटेट करा लिया।