L19 DESK : झारखंड विद्युत वितरण निगम लिमिटेड डीवीसी कमांड एरिया के तीन जिलों में अब बिजली की आपूर्ति करेगा। ये तीन जिले हैं धनबाद, रामगढ़ और बोकारो। अब इन तीनों जिलों को डीवीसी कमांड एरिया से बाहर कर दिया गया है। पहले इन तीनों जिलों के अलावा गिरिडीह, हजारीबाग, कोडरमा और चतरा जिला डीवीसी कमांड एरिया में आता था, जहां डीवीसी से बिजली खरीद कर आपूर्ति की जाती थी। अब ऐसा नहीं होगा।
जिलों की इस सूची में तीन जिले डीवीसी कमांड एरिया से बाहर हो चुके झारखंड में सात जिलों में ट्रांसमिशन लाइन की कमी की वजह से सात जिलों में बिजली आपूर्ति डीवीसी के माध्यम से की जाती थी। इस वजह से जहां राज्य सरकार पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ता था तो वहीं उपभोक्ताओं को अधिक रुपए चुकाने पड़ते थे। यह समस्या विशेष रूप से धनबाद, बोकारो, गिरिडीह, हजारीबाग, रामगढ़, कोडरमा और चतरा जिले में थी। चंदनकियारी-गोविंदपुर ट्रांसमिशन लाइन बनकर तैयार होने के साथ ही इसमें विद्युत प्रवाह चालू हो चुका है। इस ट्रांसमिशन लाइन को गोविंदपुर ग्रिड से जोड़ा गया है।
चंदनकियारी-गोविंदपुर ट्रांसमिशन लाइन का बन कर शुरू होने से धनबाद, रामगढ़ और बोकारो के उपभोक्ताओं को अब राज्य सरकार के जेवीबीएनएल से सीधे बिजली मिलेगी। उपभोक्ताओं को जेबीवीएनएल से करीब 3.25 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली की आपूर्ति की जायेगी। डीवीसी कमांड क्षेत्र में थे तब उपभोक्ताओं को करीब छह रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली मिलती थी। झारखंड ऊर्जा संचरण निगम के एमडी केके वर्मा के मुताबिक यह ट्रांसमिशन लाइन पूरी तरह से सुरक्षित है।
132 केवी चंदनकियारी-गोविंदपुर ट्रांसमिशन को निगम ने दो साल में बना कर चार्ज कर दिखाया है। चंदनकियारी-गोविंदपुर ट्रांसमिशन लाइन की कुल लंबाई 67.3 किलोमीटर है। जिसमें कुल 275 टावर बनाए गए हैं। 5.5 किलोमीटर लाइन और 24 टावर पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में हैं। चंदनकियारी-गोविंदपुर ट्रांसमिशन लाइन के रूट की बात करें तो यह झारखंड में बोकारो के दुबेकाटा मोड़, बरमसिया, मोडीडीह, मुक्तापुर, चांदीपुर, कुसुमकियारी, पालकीरी और पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिला के प्रेमसिंहडीह, इचार और झारखंड के धनबाद के सिंदरी, छाताटांड़, गेंदरा, जिएलगोरा, तितुलियाटांड़, सहजोड़ी गांव के पास से गुजरी है।
जेबीवीएनएल डीवीसी पर झारखंड की निर्भरता को पूरी तरह खत्म करने में लगा हुआ है। इस लाइन के साथ ही डीवीसी कमांड एरिया में जल्द ही तीन और ग्रिड सब स्टेशन बनाए जाएंगे। इसके बाद झारखंड की डीवीसी पर निर्भरता पूरी तरह समाप्त हो जाएगी। दूसरी ओर 4000 मेगावाट उत्पादन क्षमता वाले सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट से बिजली संचरण करके उपभोक्ताओं के घर तक पहुंचाई जा सकेगी।