L19/Ranchi : चेशायर होम रोड स्थित सेना की कब्जे वाली एक एकड़ जमीन को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है। रांची पुलिस की जांच में ये बात सामने आयी है कि जिस एक एकड़ जमीन की यहां बात हो रही है, वह दरअसल 3.52 एकड़ की जमीन का एक हिस्सा है। साल 1933 में यह 3.52 एकड़ जमीन गंगाधर राय के नाम पर दर्ज थी। यह जमीन द्वारिका महतो के 5 बेटों – जगदीप महतो, चंदर महतो, भोला महतो, अशेश्वर महतो और विशेश्वर महतो के नाम पर ली गयी। इसमें से 2.52 एकड़ जमीन पर वर्तमान में कई लोगों का अवैध रुप से कब्जा है। जबकि बाकि के एक एकड़ की खाली जमीन का 2 फर्जी डीड बनाया गया। इसमें से एक डीड जगदीश राय के नाम पर बनाया गया। वहीं उनकी मृत्यु के बाद इस जमीन की मालिकत उनके बेटे राजेश राय की हो गयी।
राजेश राय से डोरंडा थाना क्षेत्र के मनिटोला का इम्तियाज और हजारीबाग स्थित मेरू के भरत प्रसाद ने जमीन की खरीद बिक्री के लिये 50-50 डिस्मिल का पावर ऑफ अटॉर्नी लिया। इसके पश्चात इस जमीन की बिक्री पुनीत भार्गव के नाम 1.78 करोड़ रुपये में पेश की गयी। मगर जांच में सामने आया कि डीड में चेक के माध्यम से 1.78 करोड़ का भुगतान राजेश राय को दिखाया गया, मगर पेमेंट मात्र 25 लाख का ही किया गया। तदपश्चात पुनित भार्गव के नाम पर जमीन लिये जाने का म्यूटेशन बड़गाई अंचल द्वारा किया गया। इसमें बड़गाई अंचल के राजस्व उपनिरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद की अहम भूमिका रही है। म्यूटेशन के बाद पुनीत भार्गव ने इसी आधार पर न्यूक्लियस मॉल के मालिक विष्णु अग्रवाल को 1.88 करोड़ में एक एकड़ जमीन बेच दी।
इस खरीद फरोख्त में एक दूसरा फर्जी डीड भी था। यह डीड कालीचरण सिंह के नाम पर बनाया गया था। इनके मरने के बाद इनके बेटे लखन सिंह को जमीन का हकदार बनाया गया। लेकिन इस डीड का म्यूटेशन बड़गाई अंचल ने नहीं की। एक एकड़ जमीन के खरीद बिक्री में शामिल लोगों ने लखन सिंह को कनफर्मिंग गवाह बना लिया। मामले में सदर थाना में जमीन खरीद बिक्री फर्जीवाड़ा का एक केस और दूसरा बड़गाई अंचल के राजस्व उपनिरीक्षक भानु प्रताप के घर में जमीन से जुड़े मिले सरकारी कागजात की बरामदगी का केस दर्ज कराया गया था।