- बड़गाई अंचल के मुख्य सूत्रधार हैं भानू प्रताप, पूर्व में एसीबी की टीम ने किया था रंगेहाथों गिरफ्तार
L19 DESK : बड़गाई अंचल के हल्का कर्मचारी भानू प्रताप के यहां भी आइएएस छवि रंजन के ठिकानों पर चल रही छापेमारी के क्रम में रेड चल रही है। भानू प्रताप पिछले कई वर्षों से बड़गांई अंचल में राजस्व कर्मचारी हैं। उनके रेकमेंडेशन पर ही कारोबारी विष्णु अग्रवाल को सेना की जमीन की जमाबंदी की गयी थी।
इसमें तत्कालीन अंचल अधिकारी शैलेश कुमार और मनोज कुमार ने न सिर्फ सेना की जमीन बल्कि बड़गाई अंचल के बरियातू मौजा में भुंईहरी और आदिवासी जमीन की गलत बंदोबस्ती कर दी। अभी तक शैलेश कुमार की दबीश इडी की नहीं हुई है। जानकारी के अनुसार भानूप्रताप 10 हजार रुपये घूस लेते हुए एसीबी की टीम ने रंगेहाथों गिरफ्तार किया था। यह मामला अभी भी विचाराधीन है।
भानूप्रताप गुमला से सीधे रांची के बड़गाई अंचल में पदस्थापित हैं। फिलहाल नामकुम अंचल में आने के लिए सेटिंग-गेटिंग कर रहे थे। पल्स अस्पताल के भूमि खरीद प्रकरण से लेकर भुंईहरी जमीन की खरीद-बिक्री के अधिकांश दस्तावेज भानू प्रताप के पास हैं। इसलिए उनके यहां इडी ने छापेमारी की है। भानू प्रताप ने बरियातू में अफसर अली के जरिये तीन डिसमील जमीन भी खरीदी है। यानी जिस अंचल में पदस्थापित हैं, उसकी परिधि में सरकारी कर्मचारी होकर जमीन खरीदी।
यह अलग जांच का मामला है। इन्होंने इडी में यह हलफनामा दिया था कि सेना की भूमि की खरीद मामले में जिला प्रशासन से एनओसी लिया गया था, जबकि ये प्रत्यक्ष रूप से उसमें शामिल थे। सीओ के साथ सेटिंग-गेटिंग करने में ये पहले से काफी माहिर रहे हैं। इडी को दिये गये जवाब में इन्होंने दूसरे कर्मचारी का नाम दे दिया था, जो कभी वहां पोस्टेड ही नहीं थे।
भानू प्रताप संजीवनी बिल्डकोन घोटाले के मास्टर माइंड सरकारी अधिकारी शशि भूषण सिंह के करीबी बताये जाते हैं। हाल ही में झारखंड हाईकोर्ट ने शशिभूषण सिंह पर सीबीआइ के द्वारा आरोप पत्र तय करने की कार्रवाई का आदेश दिया है। सीबीआइ द्वारा संजीवनी बिल्डकोन मामले में पांच मुकदमा किया गया है, जो विशेष अदालत में पेंडिंग है।