L19 Desk : अगर हम कोयला रोक दें, तो पूरा देश अंधकार में डूब जायेगा। केंद्र से कोयले की रॉयल्टी का बकाया नहीं मिलता है, तो खदानों को बंद करा देंगे। आज आपके खेत खलिहानों से केंद्र सरकार ने जमीन की छाती फाड़कर खनिज संपदाओं को निकाला है, उसका हिस्सा लेना पड़ेगा। अभी तो बस शुरुआत है, हमने चिट्ठी पत्री शुरु की है, संदेश भेजे हैं, लेकिन अब जरूरत पड़ी, तो कानूनी कार्रवाई भी करेंगे, कोयला खदान बंद भी करना पड़े, तो करेंगे, बहुत हो गया। कोयला मंत्री झारखंड में आकर कहते हैं कि कोयला खनन पट्टा के लिये आवंटित जमीन का दाम कम करना पड़ेगा, लेकिन हम कहते हैं जमीन का दाम नहीं गिरेगा, कम नहीं होगा, अगर आपको पोसाई पड़ता है तो जो दाम हम बोलते हैं, वो देना पड़ेगा, नहीं दोगे तो झारखंड की जमीन पर कोयला खनन नहीं होगा।
ये तमाम बातें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने भाषण के दौरान कहीं। तो क्या अब झारखंड से एक ढेला भी कोयला नहीं जायेगा ? क्या हेमंत सोरेन की सरकार झारखंड में कोयला खदानों को बंद कर देगी, क्या झारखंड में कोयला खनन बंद होने के बाद अब देश की बत्ती गुल होने वाली है, या फिर मजबूर होकर केंद्र सरकार को झारखंड का बकाया 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपये देना होगा ?
झारखंड में बंद हो जायेंगी कोयला खदानें ?
लड़ाई अब आर या पार की है। झारखंड में विधानसभा चुनाव के परिणाम आने और नयी सरकार के गठन के बाद से ही राज्य के मुखिया और उनके मंत्रीगण लगातार एक्टिव मोड में हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के भाषणों में खास तौर से अग्रेशन देखने को मिलता है। इसी कड़ी में एक बार फिर हेमंत सोरेन का अग्रेसिव भाषण हमें सुनने को मिला बीते कल यानि 4 फरवरी को, जब धनबाद के गोल्फ ग्राउंड में जेएमएम अपना 53वां स्थापना दिवस मना रहा था। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री सह पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित हुए, जबकि उनकी पत्नी सह गांडेय विधायक कल्पना सोरेन कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद थीं।
इस दौरान हेमंत सोरेन बिल्कुल फॉर्म में थे, कोयला नगरी धनबाद में मुख्यमंत्री ने हुंकार भरी और केंद्र पर जमकर निशाना साधा। उनके पूरे भाषण के दौरान जिस विषय ने सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरीं, वह ये कि अगर केंद्र सरकार झारखंड का बकाया 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपये नहीं चुकाती है, तो कोयला खदानों पर ताला लग जायेगा। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्र की भाजपा सरकार को खुली चेतावनी दे डाली। साथ ही किसानों मजदूरों और रैयतों के सेंटिमेंट को भी टच किया। उन्होंने कहा कि सदियों से झारखंड से सौतेला व्यवहार होता रहा है, अब ये सौतेलापन और नहीं चलेगा। अगर हम झारखंडवासी अपने पर आ गये, तो पूरा देश अंधकार में डूब जायेगा।
सीएम अक्सर उठाते रहे हैं बकाये राशि का मुद्दा
आपको बता दें कि इससे पहले 2 फरवरी को दुमका में हुए झामुमो के स्थापना दिवस कार्यक्रम के दौरान भी हेमंत सोरेन ने ये मुद्दा उठाया था, और केंद्र पर कड़ा प्रहार किया था। पिछले कार्यकाल में मुख्यमंत्री रहते हेमंत सोरेन कई दफा पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर, यहां तक कि मुलाकात कर झारखंड का बकाया 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपये चुकता करने की मांग करते रहे हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान तो इस मुद्दे को चुनावी एजेंडा बनाकर हेमंत सोरेन और उनकी पार्टी जेएमएम ने भाजपा के वोटरों को अपनी ओर खींचा था। नयी सरकार बनने के बाद भी ये मुद्दा लगातार फोरफ्रंट में है। हाल के दिनों में हेमंत सोरेन समेत जेएमएम के प्रवक्ताओं ने केंद्र की भाजपा सरकार को चेतावनी देते हुए कह दिया था कि अगर वह राज्य के हिस्से का 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपये नहीं चुकाती है, तो झारखंड से एक ढेला कोयला भी उन्हें नसीब नहीं होगा।
केंद्र के लिये झारखंड का कोयला क्यों है इतना जरूरी ?
देश को कोयला आपूर्ति के लिये झारखंड की इतनी जरूरत इसलिये है क्योंकि आने वाले लगभग 100 सालों तक के लिये पूरे देश को जितने कोयले की आवश्यकता होगी, वो अकेले झारखंड पूरा कर सकता है, इतना कोयला है झारखंड के पास। और इसकी खपत में कोई कंजूसी नहीं होती, भले ही कोल माइनिंग की वजह से झारखंड क्यों न जलकर राख हो जाये।