L19 Ranchi : पूर्व मंत्री, झारखण्ड सरकार की समन्वय समिति के सदस्य एवं झारखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा है कि आदिवासियों के समन्वित, संतुलित, भेदभाव रहित और संपूर्ण विकास के लिए अगले 4 फरवरी 2024 को राजधानी रांची के मोरहाबादी मैदान में झारखण्ड जनाधिकार मंच द्वारा आदिवासी एकता महारैली का आयोजन किया जायेगा। तिर्की ने कहा कि इस महारैली में न केवल आदिवासियों के मुद्दे पर गहन विमर्श करते हुए आदिवासियों को वास्ताविक ज़मीनी स्थिति से परिचित कराया जायेगा बल्कि आवश्यकता होने पर तीव्र आंदोलन का भी फैसला लिया जायेगा।
तिर्की ने कहा कि यह चुनावी साल है और अबतक केवल अपने मतलब के लिये आदिवासियों को माध्यम बनाकर स्वार्थी तत्वों ने अपना उल्लू सीधा किया है जो दुर्भाग्यपूर्ण है। लेकिन अबकी बार आदिवासियों को केवल अपने मतलब के लिये वैसे स्वार्थी और समाज विरोधी तत्वों का हथियार और आहार नहीं बनने देंगे। तिर्की ने कहा कि आदिवासी, जल, जंगल और जमीन के पुजारी हैं और स्वाभाविक रूप से अपेक्षाकृत कहीं अधिक भोले-भाले होने के साथ ही वे स्वाभिमानी भी हैं और इसी के कारण उन्हें बरगलाना बहुत ज्यादा आसान है।
तिर्की ने कहा कि आदिवासियों की इन्हीं कमजोरी के कारण स्वतंत्रता के 75 साल के बाद भी आज आदिवासियों की स्थिति दयनीय बनी हुई है और वे अपने जीवन की जटिल समस्याओं से जूझते हुए भोजन, वस्त्र, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार आदि के लिये तो संघर्ष कर ही रहे हैं साथ-साथ अपनी जमीन से भी हाथ धोते जा रहे हैं। तिर्की ने कहा कि जिन लोगों का झारखण्ड की जमीन से भावनात्मक जुड़ाव नहीं है उनमें से अधिकांश लोग बाहर से आये हैं और उन्होंने झारखण्ड को चारागाह समझ लिया है। वैसे ही तत्वों द्वारा विशेष रूप से आदिवासियों को उनकी जमीन से उखाड़ा-उज़ाड़ा जा रहा है नतीजा यह कि आदिवासी, पलायन और विस्थापन के लिए मजबूर हैं।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि कांग्रेस सरकार के द्वारा आदिवासियों को अनेक अधिकार दिये गये लेकिन अभी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार द्वारा एक-एक कर आदिवासियों के अधिकारों को मारा जा रहा है और यदि यही स्थिति बरकरार रही तो आदिवासी अपने जल, जंगल और जमीन के साथ ही अपनी संस्कृति से भी हाथ धो बैठेंगे। तिर्की ने कहा कि किसी भी हाल में और किसी भी परिस्थिति में आदिवासियों को अपने-आप को संभालना पड़ेगा और इसी के मद्देनज़र झारखण्ड जनाधिकार मंच द्वारा आदिवासी एकता महारैली का आयोजन किया गया है।
तिर्की ने कहा कि पेसा कानून के साथ ही पाँचवी अनुसूची का लाभ भी झारखण्ड को नहीं मिल पा रहा है और यह दुर्भाग्य की बात है। इसके अतिरिक्त वन अधिकार कानून के कारण आदिवासियों के अधिकार सीमित हो गये हैं और उन आदिवासियों को अपने जंगल से विरक्त करने की कोशिश की जा रही है जहाँ उनका प्राण बसता है। उन्होंने कहा कि झारखण्ड गठन के बाद पिछले 23 साल में झारखण्ड का अजीब गति से विकास हुआ है क्योंकि बहुत ही तेज गति से आदिवासियों का उज़ड़ना जारी है और आज रांची सहित झारखण्ड के बड़े नगरों में डेमोग्राफी में आदिवासी के परिप्रेक्ष्य में जिस प्रकार से नकारात्मक बदलाव हुआ है उसके कारण आदिवासी स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि व्यापक परिप्रेक्ष्य में झारखण्ड के लिये यह घातक स्थिति है। तिर्की ने आदिवासियों से अपील की कि वह अपने बीच किसी भी प्रकार के भेदभाव का उन्मूलन करने और अपनी विचारधारा को बचाने के लिये आदिवासियत और आदिवासी संस्कृति के साथ एकजुट हो जायें। अपनी जमीन की रक्षा के लिये व्यापक संघर्ष का आह्वान करते हुए तिर्की ने कहा कि हर हाल में झारखण्ड के जमीनी स्वभाव को बचाने के साथ ही आपसी एकता को मजबूत रखना बहुत ज्यादा जरूरी है अन्यथा आदिवासी उखड़ने, बिखरने एवं सिमटने के लिये विवश होगा और झारखण्ड से गहराई से जुड़ा कोई भी आदिवासी हो या गैर आदिवासी व्यक्ति ऐसा कभी नहीं चाहेगा।