L19 DESK : लोकआस्था का महापर्व छठ पूजा को प्रकृति और आध्यात्मिकता के बीच गहरे संबंध द्वारा चिह्नित किया गया है। अपनी समृद्ध परंपराओं के साथ यह त्योहार कृतज्ञता, अनुशासन और जीवन के शाश्वत चक्र का सार समाहित करता है। यह पवित्र त्योहार ऊर्जा और जीवन के अंतिम स्रोत सूर्य देव को समर्पित है।
छठ त्योहार ऊर्जा के देवता, सूर्य देव की पूजा करने के लिए मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है की पवित्र छठ पूजा करने से कुष्ठ रोग जैसी पुरानी बीमारियां भी ठीक हो जाती हैं। छठ पूजा को बहुत ही कठिन पर्व माना जाता है। नहाय खाय के साथ आज से छठ महाप्रव के शुरु हो गया है। नहाय खाय में व्रती पूजा के बाद परिवार के सभी सदस्य चावल के साथ कद्दू की सब्जी, चने की दाल, ग्रहण करते हैं।
बात दे 18 नवंबर को खरना है। इस दिन गुड़ और खीर का प्रसाद बना कर भगवान को अर्पण करने के बाद व्रती इस प्रसाद को ग्र्हण करते हैं, इस महाप्रसाद को भक्तों के बीच वितरित भी किया जाता है। व्रती गुड़ और खीर का प्रसाद ग्रहण कर 36 घंटे निर्जला उपवास रखती हैं। इस प्रसाद को बनाने में मिट्टी के चूल्हे और आम की लकड़ी का प्रयोग किया जाता है 19 नवंबर को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा जिसे संध्या अर्घ्य भी कहते हैं इसके अगली सुबह 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।