L19 DESK : झारखंड में शराब घोटाले का अनुसंधान कर रही प्रवर्तन निदेशालय की टीम को नये सुराग मिल रहे हैं। अब उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के अधिकारियों की संलिप्तता भी नयी शराब नीति बनाने में सामने आ रही है। बताते चलें कि उत्पाद विभाग के संयुक्त सचिव गजेंद्र प्रसाद सिंह को नयी उत्पाद नीति बनाने का जिम्मा सौंपा गया था। उत्पाद नीति बनाने वाली टीम में तत्कालीन उत्पाद आयुक्त अमित कुमार, मुख्यालय के सहायक आयुक्त राकेश कुमार समेत अन्य शामिल थे। शराब घोटाले को लेकर ईडी ने 23 अगस्त को पुराने शराब कारोबारी योगेंद्र तिवारी समेत अन्य के रांची सहित धनबाद, गिरिडीह, देवघर, दुमका, गोड्डा, जामताड़ा और कोलकाता में एक साथ 32 ठिकानों पर छापेमारी की थी।
छापेमारी में ईडी को वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव के आवास से 30 लाख रुपए नगद मिले थे। 60 लाख का ज्वेलरी भी मिला था, जिसे बाद में वापस कर दिया गया था। छापेमारी के बाद से ईडी लगातार इस मामले में झारखंड में शराब कारोबार से जुड़े लोगो से पूछताछ कर रहा है। अबतक 50 लोगों का बयान दर्ज हो चुका है। ईडी शराब घोटाले की जांच का दायरा बढ़ रहा है। जल्द ही कई बड़े लोगों के यहां छापेमारी हो सकती है। ईडी सूत्रों का दावा है कि शराब घोटाला भी खनन घोटाला, टेंडर कमीशन घोटाला और जमीन घोटाला की तरह 500 करोड़ रुपए से ज्यादा का हो सकता है। घोटाले में ईडी पुरानी और नई दोनों शराब नीतियों को खंगाल रहा है। दोनों नीति के तहत झारखंड में शराब घोटाला हुआ है।
घोटाले में कौन शामिल है। पैसा किनके पास पहुंचा, इसका पता लगाया जा रहा है। हाल ही नोएडा में छत्तीसगढ ईडी ने नकली होलोग्राम सप्लाई करने को लेकर एक केस दर्ज कराया था। झारखंड में भी इसी कंपनी ने होलोग्राम की सप्लाई की थी। झारखंड में छत्तीसगढ़ में होलोग्राम बनानेवाली कंपनी प्रिज्म होलोग्राफी एंड फिल्म्स लिमिटेड को सरकार ने होलोग्राम बनाने का ठेका समाप्त कर दिया था। इस कंपनी के खिलाफ ग्रेटर नोएडा के कसाना में इसीआइआर दर्ज की गयी है। बताते चलें कि 2021-22 तक पुरानी शराब नीति झारखंड में लागू थी। इसी दरम्यान शराब कारोबारी योगेंद्र तिवारी ने 19 जिलों में शराब के होलसेल का काम किया था।
योगेंद्र तिवारी ने जिलों में होलसेलरों की नियुक्ति के लिए 20-20 लाख रुपये तक लिये थे। इस बाबत कई जिलों में अब मुकदमेबाजी भी होने लगी है, क्योंकि मई 2022 के बाद से योगेंद्र तिवारी को शराब के थोक विक्रेता के रूप में हटा दिया गया था। छत्तीसगढ़ की शराब नीति लागू होने के बाद छ्तीसगढ़ की दो कंपनियों को होलसेल का जिम्मा दिया गया था। छत्तीसगढ़ की उत्पाद नीति लागू करने के समय सरकार ने 25 सौ करोड़ के राजस्व वसूली का लक्ष्य रखा था। पर सरकार को 31 मार्च 2023 तक मात्र 2050 करोड़ रुपये ही मिले। 400 करोड़ की कम वसूली को लेकर सरकार ने प्लेसमेंट एजेंसी पर सर्टिफिकेट केस कर दिया। मामला अभी हाईकोर्ट में विचाराधीन है।