- कोलकाता के असम फ्रंटीयर टी कंपनी लिमिटेड के प्रमोटरों ने दिया घोटाले को अंजाम
- घोटालेबाजों में मुरलीधर जालान, महावीर प्रसाद जालान, महादेव जालान और मदन मोहन जालान हैं शामिल
- नागवंशी महाराज लाल चंदरमोहन नाथ शाहदेव ने 1942 में लीज पर दी थी जमीन
- 1972 में समाप्त होना था लीज का समय, इससे पहले दिसंबर 1961 में ही कोलकाता डीड से कर दी गयी रजिस्ट्री
L19/Ranchi (दीपक,मिथलेश) : झारखंड के नामकुम और ओरमांझी अंचल में कोलकाता डीड से 36 सौ एकड़ भूमि का वारा न्यारा किया गया है। इस जमीन का मालिकाना हक अभी भी नागवंशी राजा के वंशजों के पास है। इस जमीन का लगान रसीद अब तक परिवार के लोग कटाते आ रहे हैं। नागवंशी राजा लाल चंदरमोहन नाथ शाहदेव ने 1942 में 30 वर्ष की लीज पर असम फ्रंटीयर टी कंपनी लिमिटेड को उस समय के पलांडू एरिया की जमीन दी थी। लीज की शर्तों में यह लिखा गया था कि लीज धारी सभी लीज की जमीन पर केवल चाय की खेती करेंगे, दूसरा कोई व्यवसाय नहीं करेंगे। यह लीज 1972 में समाप्त होगा।
1961 में कोलकाता में किया गया असम टी इस्टेट कंपनी के नाम से रजिस्ट्री
लीजधारी के काम से नाखुश होने पर बरगांवां नामकुम के खेवट नंबर 6, 7, 17 और 28, मुटा (ओरमांझी) के खेवट नंबर चार और आठ, आनंदी (ओरमांझी) के खेवट नंबर 14, सेवैया (ओरमांझी) के खेवट नंबर 3 और 88, महेशपुर मौजा (ओरमांझी) के खेवट नंबर 11 औऱ 4, गेतलसूद (ओरमांझी) के खेवट नंबर 9, 4, 5 और 6 के सभी खातों को 25 फरवरी 1942 को लीज पर दिया गया था। 1961 में कोलकाता में किया गया असम टी इस्टेट कंपनी के नाम से रजिस्ट्री कोलकाता के महावीर जालान, मदन मोहन जालान, महावीर प्रसाद जालान और मुरलीधर जालान ने इस लीज की जमीन को कोलकाता में नवंबर 1961 में रजिस्ट्री कर दी। यह रजिस्ट्री असम टी इस्टेट कंपनी के नाम से की गयी।
रजिस्ट्री के लिए जालान बंधुओं को 7 लाख 25 हजार रुपये मिले
रजिस्ट्री के लिए जालान बंधुओं को 7 लाख 25 हजार रुपये मिले। इसमें से 16.11.1961 को यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया के चेक संख्या बी-857777 के द्वारा भुगतान किया गया। इस रजिस्ट्री के गवाह सोलिसिटर एचके दत्त थे। जालान इनवेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड के पार्टनरों के तौर पर जालान परिवार के सदस्यों ने डीड को अमली जामा पहनाया। डीड में जमीन का ब्योरा कुछ इस प्रकार दियागया। इसमें बरगांवां के खेवट 6 के तहत 53.37 एकड़ जमीन, खेवट 17 के तहत 4.52 एकड़, खेवट 28 में 207.69 एकड़, लाल खटंगा के खेवट 4 के तहत 167.26 एकड़, जरिया के खेवट 3 में 532 एकड़, गढ़ खटंगा के खेवट तीन में 189 एकड़ समेत अन्य खेवटों को मिला कर 1442.98 एकड़ निबंधित करने की बातें कही गयी। ये खेवट सभी नामकुम अंचल से संबंधित हैं।
फरजी कागजातों के आधार पर चाय बागान में 11 सौ लोगों को बसाया
इसी प्रकार ओरमांझी के महेशपुर की 449 एकड़, गेतलसूद के 229 एकड़, मुटा (ओरमांझी) के 102 एकड़, रूदिया (ओरमांझी) के 214 एकड़, मेसरा का 78 एकड़, तापे का 143 एकड़, आनंदी मौजा का 143 एकड़ जमीन दर्शाया गया। बिना टाइटल के ही कर दी गयी कोलकाता डीड से रजिस्ट्री जालान बंधुओं ने असम टी इस्टेट कंपनी लिमिटेड को बिना टाइटल के ही कोलकाता डीड से रजिस्ट्री कर दी। आपको बताते चलें की लीज की जमीन की खरीद बिक्री नहीं हो सकती है। इसके अलावा जालान बंधुओं ने उस समय पटना हाईकोर्ट के रांची बेंच से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक जमीन के टाइटल और मुआवजे को लेकर दरवाजा खटखटाया। पर उन्हें न तो पटना हाईकोर्ट के रांची बेंच और न ही सुप्रीम कोर्ट से किसी तरह की राहत मिली। पर जमीन तो बिकनी थी, बिक गयी। फरजी कागजातों के आधार पर बरगावां मौजा के चाय बागान में 11 सौ लोगों को बसा दिया गया। इसी प्रकार अन्य जमीन की भी जालान बंधुओं ने बंदरबांट कर दी।
झारखंड के जमीन दलाल इनकी जमीन को लेकर मालामाल हो रहे हैं
मूल रैयत के वंशज लाल हर गौरी नाथ शाहदेव ने इस गड़बड़ी की शिकायत कई प्लैटफार्म में की। उन्होंने अविभाजित बिहार में उपायुक्त, प्रमंडलीय आयुक्त से लेकर कई जगहों पर अपनी शिकायत की। यहां तक की झारखंड अलग राज्य बनने के बाद भी शिकायतें की गयीं। प्रधानमंत्री कार्यालय से लेकर अन्य जगहों को भी पत्र लिखे गये। पर उन्हें सकारात्मक उत्तर कहीं नहीं मिला। आज भी हजारों करोड़ की उनकी संपत्ति का मालिकाना हक उन्हें नहीं मिला है। झारखंड में भी कहीं उन्हें किसी भी स्तर पर न्याय नहीं मिली है। अब भी वे अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं। झारखंड के जमीन दलाल इनकी जमीन को लेकर मालामाल हो रहे हैं, पर इनकी स्थिति दयनीय बनी हुई है।
कोलकाता डीड के जरिये प्रवर्तन निदेशालय ने भी जांच शुरू कर दी है
आज कल कोलकाता डीड की बातें काफी तेजी से न्यूज और मीडिया में सक्रिय है। यह कहा जा रहा है कि कोलकाता में ही झारखंड की जमीन के फरजी कागजात गलत ढंग से तैयार किये जा रहे हैं। फरजी कागजात के जरिये जमीनें बेची जा रही हैं। अब तो कोलकाता डीड के जरिये प्रवर्तन निदेशालय ने भी जांच शुरू कर दी है। इसमें कोलकाता के ही तीन बड़े कारोबारी विष्णू अग्रवाल, जगतबंधू टी इस्टेट के मालिक दिलीप घोष, कारोबारी अमित अग्रवाल, डीसी छवि रंजन, बड़गाई अंचल के हल्का कर्मचारी भानू प्रताप, जमीन बिचौलिया तल्हा खान, बबलू खान, इम्तियाज अहमद, राजेश राय अभी जेल में बंद हैं।