L19 DESK : अगस्त महीने का पहला हफ्ता समाप्त हो चुका है, मगर अब तक राज्य में केवल 27% खेतों में ही धान की रोपनी हो पायी है। वहीं, पशुपालन और गव्य निदेशक के पद खाली हैं। सहकारिता विभाग में रेजिस्ट्रार का भी पद खाली है। इससे कृषि, पशुपालन और सहकारिता विभाग की योजनाओं पर प्रभाव पड़ रहा है। कृषि निदेशक के पद पर नियुक्त चंदन कुमार को रामगढ़ का उपायुक्त बनाये जाने के बाद से यह पद खाली है।
यही नहीं, चंदन कुमार के पास ही पशुपालन और गव्य निदेशक के पदों का भी प्रभार था। चंदन कुमार के तबादले के बाद एक साथ 3 पद खाली हो गये हैं। सहकारिता निबंधक के पद पर मृत्युंजय वर्णवाल नियुक्त थे। उन्हें भी सरकार की ओर से पाकुड़ में उपायुक्त के पद पर पदास्थापित कर दिया है। इससे कृषि, पशुपालन और सहकारिता विभाग के निदेशक के अहम पद खाली हो गये हैं।
आपको बता दें, राज्य भर में खरीफ के मौसम में सबसे ज्यादा खेती धान की ही होती है। इसलिये राज्य सरकार ने लगभग 18 लाख हेक्टेयर में धान लगाने का लक्ष्य रखा था। सरकार की ओर से जो लक्ष्य निर्धारित है, उसका केवल 27% ही खेतों में धान की रोपनी हो पायी है। पलामू प्रमंडल की तो स्थिति सबसे बदतर है। प्रमंडल में सरकार द्वारा यय लक्ष्य का मात्र 3% ही खेतों में धान की रोपनी हुई है। यहां कुछ जिलों में तो नाम के लिये ही केवल खती हो पायी है। सरकार द्वारा तय किये गये लक्ष्य के अनुसार, यहां 1.36 लाख हेक्टेयर के में धान की रोपनी होनी थी। मगर इसकी तुलना में 4 हजार हेक्टेयर के करीब ही धान लग पाया है।
गढ़वा की बात करें तो यहां सरकार के तय लक्ष्य के मुकाबले केवल 1% , वहीं हजारीबाग में 11%, संताल परगना में 13% ही धान की रोपनी हो पायी है।