L19/Dhanbad : केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान (सिंफर) के कई अधिकारियों एवं कर्मियों से 1.39 अरब रुपये से अधिक के मानदेय घोटाला में पूछताछ करेगी। इसको लेकर एक सूची तैयार की गयी है। साथ ही लाभान्वित हुए कर्मियों से राशि के निकासी के बारे में भी जानकारी मांगी जायेगी। कोल सैंपलिंग रिपोर्ट में कथित रूप से गड़बड़ी करने वालों से पूछताछ हो सकती है। सूत्रों के अनुसार CBI ने सिंफर में मानदेय मामले में हुई गड़बड़ी में कई दौर की जांच की है। जांच के दौरान पता चला कि सिंफर के पूर्व निदेशक डॉ पीके सिंह तथा मुख्य वैज्ञानिक एके सिंह ने मानदेय राशि कई ऐसे कर्मियों के नाम पर भी ट्रांसफर कराया जो इसके हकदार नहीं है।
तृतीय, चतुर्थ वर्गीय कर्मियों तक के नाम पर राशि ट्रांसफर हुई। धनबाद एवं डिगवाडीह शाखा के कुछ अस्थायी एवं दैनिक वेतन भोगी कर्मियों को राशि देने का आरोप है। जो की यह गलत है। जांच में पता चला है कि जिन कर्मियों के खाता में राशि ट्रांसफर हुई है, उनमें से अधिकांश ने राशि आने के बाद एक सप्ताह के अंदर लगभग पैसे बैंक से नकद निकाल लिया। CBI ऐसे कर्मियों को नोटिस देगी। पूछा जायेगा कि आखिर क्यों राशि की तत्काल निकासी हुई और उसे कहां खर्च किया गया। CBI ने सोमवार को मानदेय घोटाला में एक प्राथमिकी दर्ज किया है। इसमें सिंफर के पूर्व निदेशक डॉ पीके सिंह तथा मुख्य वैज्ञानिक एके सिंह को आरोप लगा है।
पूर्व निदेशक पर 15,36,72,000 रुपये तथा एके सिंह पर 9,04,31,337 रुपये मानदेय लेने का आरोप है। कोल सैंपलिंग रिपोर्ट में गड़बड़ी की बातें भी सामने आ रही है। ज्यादातर पावर कंपनियों की शिकायत थी कि कोल सैंपलिंग जांच रिपोर्ट में निष्पक्षता नहीं बरती जा रही थी। इसमें सिंफर के कई अधिकारियों पर गड़बड़ी तथा कोल कंपनियों से लाभान्वित होने का आरोप भी लगा है। छोटे कर्मी इस बात को ले कर चिंतित हैं कि अगर राशि वसूली की प्रक्रिया हुई तो क्या करेंगे। कहां से राशि वापस करेंगे। फिलहाल, झारखंड हाइकोर्ट के एक आदेश के तहत राशि वसूली पर रोक लगी हुई है।