मुख्यमंत्री ने ऐसे ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई करने औऱ कम रेट कोट करने की व्यवस्था को समाप्त करने का दिया निर्देश
L19/DESK : झारखंड में अब किसी भी वर्क्स डिपार्टमेंट में टेंडर वैल्यू से नीचे काम कोई भी ठेकेदार नहीं ले सकते हैं। 2020 के बाद से किसी भी निविदा में शिड्यूल (तय दर) रेट से 30 से 35 फीसदी नीचे जाकर टेंडर हथियाने का खेल जारी था। अब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस प्रणाली पर लगाम लगाने का निर्देश दिया है। उन्होंने पथ निर्माण, भवन निर्माण विभाग, जल संसाधन विभाग, ग्राम्य अभियंत्रण संगठन, ग्रामीण विकास विभाग (विशेष प्रमंडल), नगर विकास विभाग, पेयजल और स्वच्छता विभाग तथा अन्य कार्य विभागों से कहा है कि वे शिड्यूल से अनलिमिटेड नीचे जाकर काम करने का नया प्रस्ताव तैयार करें। बल्कि तय रेट की सीमा तक ही निविदा कोट करें। मुख्यमंत्री ने प्रावधानों में संशोधन करने का निर्देश दिया है। इसको लेकर पथ निर्माण विभाग को नोडल एजेंसी बनाया गया है,एक कमेटी भी गठित करने को कहा गया है। कमेटी सरकार की योजनाओं में शिड्यूल दर से नीचे काम करने से होनेवाले नुकसान का भी आकलन कर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी।
जानकारी के अनुसार 2020 के पहले पीडब्ल्यूडी कोड में यह प्रावधान था कि कोई भी ठेकेदार किसी भी योजना में 10 प्रतिशत से नीचे तक ही रेट कोट कर सकता है। शिड्यूल रेट से 10 फीसदी से अधिक रेट कोट करने पर उस कंपनी की निविदा के कागजात अनुमान्य कर दिये जाते थे। कम रेट होने पर ठेकदारों के आवेदन को रीजेक्ट कर दिया जाता था। अब फिर इसी दिशा में सरकार आगे बढ़ रही है। सरकार का मानना है कि शिड्यूल रेट से 30 से 35 फीसदी तक कम रेट कोट करने का असर निर्माण कार्य में भी दिखता था और इससे गुणवत्ता पर भी कई सवाल खड़े होते थे। निर्माण भी पांच वर्षों में ही धराशायी हो जाता था। कई ऐसे उदाहरण राज्य में दिखे हैं कि करोड़ों रुपये खर्च कर बने पुल-पुलिया एक बारिश भी नहीं झेल सके और पुलिया ध्वस्त हो गयी। अधिकतर ग्रामीण कार्य विभाग में ऐसी घटनाएं अधिक हुई। प्रवर्तन निदेशालय ने भी ग्राम्य अभियंत्रण संगठन के मुख्य अभियंता रहे वीरेंद्र राम के ठिकानों पर रेड कर अवैध संपत्ति और करोड़ों रुपये कमाने की बातें पुष्ट की हैं। फिलहाल वीरेंद्र राम इडी की हिरासत में हैं।