L19 DESK : झारखंड में लगभग 17 लाख बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया है, साथ ही उन बच्चों के आगे के नामांकन की जानकारी किसी के पास नहीं है. यह सारी बातें स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग शिक्षा विभाग के एक रिपोर्ट से बाहर निकल कर आई है. रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि वर्ष 2023-24 में 6,84,035 और वर्ष 2024-25 में 10,41,123 बच्चे स्कूल जाना बंद कर चुके हैं. साथ ही इनके आगे के नामांकन का कोई पता नहीं होने के कारण इन सभी बच्चों को “ड्रॉप बॉक्स” में डाल दिया गया है.
क्या होता है “ड्राप बॉक्स”?
दरअसल, जो बच्चे एक स्कूल से नाम कटाने के बाद किसी दूसरे स्कूल में एडमिशन नहीं लेते हैं वैसे बच्चों को ड्रॉप बॉक्स में डाल दिया जाता है. आम भाषा में कहें तो जब कोई बच्चा किसी कारणवश विद्यालय से नाम कटवा लेता है तो उस बच्चे की जानकारी ड्राप बॉक्स में डाली जाती है. जब तक वैसे बच्चे का फिर से कहीं एडमिशन नहीं हो जाता है तब तक उसकी जानकारी ड्राप बॉक्स में रहती है, फिर जैसे ही बच्चे का एडमिशन किसी दूसरे विद्यालय में हो जाता है तो उसकी जानकरी ड्राप बॉक्स से हटा दी जाती है.
कहां गए लापता बच्चे?
स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की माने तो ड्राप बॉक्स में जिन बच्चों की जानकारी डाली गई है उनमें से ज्यादातर बच्चे स्कूल छोड़ने के बाद आगे की पढ़ाई नहीं कर रहे हैं. संभावना यह है कि ऐसे बच्चे ड्राप आउट हो गए होंगे. संभावना यह भी जताई जा रही है कि इनमें से कुछ बच्चे ऐसे भी होंगे जिन्होंने नाम और पहचान बदलकर दुबारा अपना नामांकन करा लिया हो लेकिन इनकी संख्या बहुत कम हो सकती है. हर साल शिक्षा विभाग की जिम्मेवारी होती है कि वो शिशु पंजी को अपडेट करे. शिशु पंजी के तहत घर-घऱ जाकर शिक्षक बच्चों के नामांकन की जानकारी इक्कठा करते हैं. राज्य के तमाम जिलों को निर्देश दे दिया गया है कि ड्राप आउट बच्चों को चिन्हित करे और उनके आगे की पढ़ाई की जानकारी प्राप्त करें.
ड्राप आउट में दूसरे नंबर पर है झारखंड
वित्तीय वर्ष (Financial Year 2024-25) के पहले आठ महीनों में पूरे भारत में ऐसे 11.70 लाख से ज्यादा बच्चों की जानकारी प्राप्त हुई है जो किसी भी स्कूल में पढ़ाई नहीं कर रहे हैं, यानी पूरे भारत में ड्राप आउट बच्चों की संख्या 11.70 लाख है. शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने यह जानकारी लोकसभा में दी है. लोकसभा में एक लिखित सवाल के जवाब में शिक्षा राज्य मंत्री ने यह भी कहा कि ड्राप आउट बच्चों की संख्या सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में है. चौधरी आगे कहते हैं कि, “शिक्षा मंत्रालय का स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग ‘प्रबंध’ (Project Appraisal, Budgeting, Achievements, and Data Handling System) पोर्टल चलाता है, जिस पर राज्य और केंद्रशासित प्रदेश स्कूलों में रजिस्ट्रेश नहीं कराने वाले बच्चों से संबंधित डेटा प्रदान करते हुए उसे अपडेट करते हैं.” मंत्री ने जो डाटा शेयर किया उस आंकड़े के मुताबिक, कुल 11,70,404 बच्चों की पहचान ‘स्कूल से बाहर’ के बच्चों के रूप में हुई है. सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में लगभग 7.84 लाख बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं. दूसरे नंबर में झारखंड है जहां 65,000 से ज्यादा बच्चे स्कूल से बाहर हैं और असम में 63,000 से ज्यादा स्कूल नहीं जाते हैं.
ड्रॉप बॉक्स में बच्चों की संख्या
रांची – 170342, गिरिडीह – 135847, धनबाद – 124730, हजारीबाग – 107829, पलामू – 105811, गढ़वा – 80164, देवघर – 77131, पु. सिंहभूम – 77023, प. सिंहभूम – 74732, साहिबगंज – 73169, गोड्डा – 72512, गुमला – 70370, सिमडेगा – 28919, खूटी – 29640, जामताड़ा – 30034, लोहरदगा – 30154, कोडरमा – 33670, रामगढ़ – 42702, लातेहार – 47138, सरायकेला – 48737, पाकुड़ – 61756, चतरा – 64342, दुमका – 68690, बोकारो – 69716 है.