L19 : हमारी खबर का असर, प्रवर्तन निदेशालय ने जल संसाधन विभाग के सुवर्णरेखा परियोजना का ब्योरा मांगा है. लोकतंत्र 19 ने तीन दिन पहले ही लिखा था कि 2005 से लेकर 2019 तक वीरेंद्र राम ईचा-गालूडीह कांपलेक्स और सुवर्णरेखा बहुद्देशीय परियोजना के मुख्य अभियंता थे.
इस दौरान छह हजार करोड़ से अधिक की निविदा निकाली गयी. इस दौरान सुवर्णरेखा बहुद्देशीय परियोजना, ईचा-गालूडीह परियोजना, जल संसाधन विभाग के अभियंता प्रुमुख , मुख्य अभियंता मुख्यालय, मुख्य अभियंता सीडीओ, मुख्य अभियंता (माइनर इरीगेशन), वीरेंद्र राम के तकनीकी सलाहकार रहे अन्य के कॉकस ने काफी पैसे बनाये.
जानकारी के अनुसार रांची अंचल में मुख्य अभियंता के पद पर गणेश राम पदस्थापित थे. मुख्य अभियंता मुख्यालय के पद पर अशोक कुमार पदस्थापित थे. माइनर इरीगेशन के मुख्य अभियंता सुरेंद्र कुमार थे. मुख्य अभियंता सीडीओ अशोक राम थे.
इस दौरान 2016 से लेकर 2019 तक इंजीनियर से आइएएस बने ब्रजमोहन कुमार सुवर्णरेखा परियोजना के प्रशासक भी थे. इस दरम्यान कॉकस के सभी प्रमुख पदों पर एक खास वर्ग का ही कब्जा था. जिन लोगों ने एक सिंडिकेट के रूप में टेंडर में मनमानी की.
अब इडी की ओर से मांगी गयी रिपोर्ट के आधार पर सबकी भौंहें तन गयी हैं. इडी के रैडार में ऐसे 30 अभियंता, तीन आइएएस अफसर हैं. जो जल संसाधन विभाग, ग्राम्य अभियंत्रण संगठन, ग्रामीण विकास विभाग में थे. ब्रजमोहन कुमार जो पहले ग्रामीण कार्य विभाग के मुख्य अभियंता थे, उनके कार्यकाल में ही कमीशन का खेल शुरू हो गया था. अब इडी सभी पहलुओं की जांच कर रही है.
इडी जल ही सुवर्णरेखा बहुद्देशीय परियोजना में पदस्थापित रहे पूर्व के अफसरों को भी पूछताछ के लिए बुला सकता है. ईडी ने सुरर्णरेखा प्रोजेक्ट में 2009 से 2022 तक हुए टेंडर से संबंधित दस्तावेज मांगे है. जिससे बाद से प्रोजेक्ट में पदस्थापित कई पूर्व एमडी सहित कई अफसर जांच के दायरे में आ गए है